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पीसीवी टीकाकरण का तृतीय चरण भरतपुर समेत 15 जिलों में शुरू, एक साल से कम उम्र के बच्चों को लगेगा मुफ्त में

भरतपुर में बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए पीसीवी टीकाकरण का तृतीय चरण शुरू होने जा रहा है. यह टीकाकरण भरतपुर सहित 15 जिलों में चलेगा. बता दें कि हिमाचल, बिहार और यूपी के बाद अब राजस्थान सरकार ने इस अपने नियमित टीकाकरण में शामिल किया है. यह टीका सबसे सुरक्षित और महंगा टीका है लेकिन, लेकिन जिले में एक साल से छोटे बच्चों को यह टीका मुफ्त में लगाया जाएगा.

भरतपुर न्यूज, bharatpur news

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Published : Nov 8, 2019, 7:11 PM IST

भरतपुर. देश में 5 साल तक की उम्र के बच्चों की मौत का सबसे बड़ा कारण निमोनिया होता है, ऐसे में बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए पीसीवी टीकाकरण का तृतीय चरण भरतपुर समेत प्रदेश के 15 जिलों में जल्द ही शुरू किया जाएगा. इसके लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से चिकित्सा कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जाना शुरू कर दिया गया है.

बच्चों को निमोनिया से बचाएगा पीसीवी इंजेक्शन

आरसीएचओ डॉ अमर सिंह ने बताया कि बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से जनवरी 2020 में न्यूमोकोकल कॉन्ज्यूगेट वैक्सीन (पीसीवी) अभियान की शुरुआत की जाएगी. प्रदेश के तीसरे चरण में भरतपुर समेत 15 जिलों में यह टीकाकरण शुरू होगा. निमोनिया रोकने में प्रभावी यह टीका सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों में मुफ्त उपलब्ध होगा. बता दें कि अब तक के टीकों में यह सबसे सुरक्षित और महंगा टीका है, जो बच्चों को निमोनिया से बचाएगा.

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141 देशों में लॉन्च वैक्सीन, हिमाचल, बिहार और यूपी के बाद राजस्थान ने अपनाया

न्यूमोकोकल कान्जूकेटेड वैक्सीन अब तक 141 देशों में लांच की जा चुकी है. भारत में यह वैक्सीन निजी क्षेत्र में पिछले दस सालों से बच्चों को लगाई जा रही है, लेकिन हिमाचल, बिहार और यूपी के बाद अब राजस्थान सरकार ने इस अपने नियमित टीकाकरण में शामिल किया है. यह अब तक की सबसे महंगी वैक्सीन है, लेकिन जिले में एक साल से छोटे बच्चों को यह टीका मुफ्त में लगाया जाएगा.

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कब-कब कराएं टीकाकरण
डॉ अमर सिंह ने बताया कि पीसीवी की पहली डोज 6 वें हफ्ते में, दूसरी 14वें हफ्ते में जबकि तीसरी डोज 9वें महीने में बच्चों को लगवाएं. वैक्सीन लगाने के बाद बच्चे को हल्का दर्द, सूजन या बुखार की संभावना हो सकती है, लेकिन घबराने की कोई जरूरत नहीं है. इस टीके लगने के बाद 100 फीसदी बचाव होगा और शिशु मृत्यु दर मे कमी लाई जा सकेगी.

5 साल तक के बच्चों की सर्वाधिक मौत निमोनिया से
डॉक्टर ने बताया कि 5 साल तक के बच्चों की सर्वाधिक मौत का बड़ा कारण निमोनिया होता है, इसमें से भी 2 साल तक के बच्चों की भी मौत अधिक होती है.

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