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भरतपुर: बंसी पहाड़पुर की 44 खदानों को शुरू कराने की मांग, पीएम के नाम उपखंड अधिकारी को सौंपा ज्ञापन - बंसी पहाड़पुर की खदान

भरतपुर में गुरुवार को बंसी पहाड़पुर की खदानों को शुरू कराने की मांग को लेकर लोगों ने उपखंड अधिकारी को ज्ञापन सौंपा. साथ ही ज्ञापन के माध्यम से सभी खदानों को पर्यावरण स्वीकृति (ईसी) दिलाकर शुरू कराने की मांग की है.

उपखंड अधिकारी को सौंपा ज्ञापन, Memorandum submitted to subdivision officer
बंसी पहाड़पुर की खदानों को शुरू कराने की मांग

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Published : Aug 6, 2020, 4:37 PM IST

भरतपुर. जिले के बयाना क्षेत्र में बंसी पहाड़पुर के प्रसिद्ध पत्थर की खदानों को शुरू कराने की मांग को लेकर लोगों ने बयाना के उपखंड अधिकारी सुनील आर्य को प्रधानमंत्री के नाम का ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन में सभी खदानों को पर्यावरण स्वीकृति (ईसी) दिलाकर शुरू कराने की मांग की.

बंसी पहाड़पुर की खदानों को शुरू कराने की मांग

वहीं सांसद रंजीता कोली ने भी पर्यावरण और वन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर पर्यावरण स्वीकृति दिलाने की मांग की है. भाजपा नेता रितु बनावत ने बताया कि बयाना क्षेत्र के बंसी पहाड़पुर की खदानों में विश्व प्रसिद्ध पत्थर की खुदाई होती है, लेकिन पर्यावरण और वन मंत्रालय की ओर से पर्यावरण स्वीकृति नहीं मिलने की वजह से लंबे समय से इन खदानों में खनन कार्य बंद पड़ा है.

ऐसे में इन खदानों में फिर से खनन कार्य शुरू करने के लिए पर्यावरण स्वीकृति मिलना आवश्यक है. बनावत ने उपखंड अधिकारी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम ज्ञापन सौंपकर जल्द इन खदानों को पर्यावरण स्वीकृति दिलाने की मांग की है.

सांसद ने लिखा पत्र

भरतपुर सांसद रंजीत कोली ने पर्यावरण और वन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर पर्यावरण स्वीकृति दिलाने की मांग की है. सांसद रंजीता कोली ने अपने पत्र में लिखा है कि बयाना क्षेत्र के बंसी पहाड़पुर में सेंड स्टोन के कुल 44 खनन पट्टे हैं, जो कि बिना पर्यावरण स्वीकृति के बंद पड़े हैं. जबकि वन और पर्यावरण मंत्रालय द्वारा वन क्षेत्र से दूरी का 25 मीटर का कानून संशोधित किया जा चुका है.

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पत्र में इन खदानों को पर्यावरण स्वीकृति दिला कर फिर से शुरू कराने की मांग की गई है. गौरतलब है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए इन्हीं खदानों का पत्थर भेजा जा रहा है. साथ ही अन्य कई महत्वपूर्ण भवनों का निर्माण भी इन्हीं खदानों के पत्थरों से किया गया है.

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