भरतपुर. नगर विकास न्यास (UIT) की स्कीम-13 को राष्ट्रीय वन्यजीव मंडल की स्थाई समिति ने अभिशंसा करने से साफ इनकार कर दिया. पिछले 15 सालों से जमीन के बदले मुआवजा और 25 फीसदी भूखंड का इंतजार कर रहे किसानों को करोड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है. 15 साल पहले यूआईटी ने किसानों से जमीन को अधिग्रहित किया था. किसान इन सालों से इस जमीन पर न तो खेती कर पा रहे हैं और न ही यूआईटी ने अभी तक उनको कोई भूखंड दिया है. वहीं इस संबंध में यूआईटी के अधिकारी जवाबदेही से कन्नी काट रहे हैं. जिसके चलते नाराज किसान शुक्रवार सुबह जेसीबी लेकर स्कीम-13 में अपनी जमीन पर कब्जा लेने पहुंच गए.
करोड़ों का नुकसान:किसान एवं पार्षद मोती सिंह ने बताया कि करीब 15 साल पहले प्रशासन ने 10 गांव के 2980 किसानों की 2200 बीघा जमीन को स्कीम-13 (Bharatpur UIT scheme 13) के लिए अधिग्रहित किया था. तभी से किसान अपनी जमीन पर खेती नहीं कर पा रहे हैं. यदि किसान हर वर्ष अपनी जमीन पर खेती करते तो 2200 बीघा जमीन से उन्हें हर वर्ष करीब डेढ़ करोड़ रुपये की आय होती. किसानों की मानें तो बीते 15 साल में वो करीब 60 करोड़ से अधिक का नुकसान उठा चुके हैं.
आवेदकों को इंतजार:किसानों ने बताया कि यूआईटी की इस योजना को लेकर किसानों ने कई बार धरना प्रदर्शन (Farmers Protest in Bharatpur) किए. लेकिन हर बार आश्वासन ही मिला. इस योजना में भूखंडों के लिए 8892 आवेदन भी प्राप्त हुए थे लेकिन योजना की कोई प्रगति न होती देख, 5023 आवेदकों ने आवेदन वापस भी ले लिए. अभी भी 3800 से अधिक आवेदकों को इस योजना का इंतजार है.
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मंजूरी देने से इनकार:अभी तक यह योजना वन विभाग की अनुशंसा नहीं मिलने की वजह से अटकी हुई थी. इसको लेकर कई बार किसान स्थानीय विधायक एवं मंत्री डॉ सुभाष गर्ग से भी मिले. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक अभिमन्यु सहारण ने बताया कि बीते दिनों राष्ट्रीय वन्यजीव मंडल की स्थाई समिति की बैठक में भी इस योजना को लेकर चर्चा की गई. जिसके बाद स्थाई समिति ने स्कीम-13 के प्रस्ताव की अभिशंसा नहीं करने का निर्णय लिया है. ऐसे में एक बार फिर से इस योजना पर तलवार लटक गई है.