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घर-घर औषधि योजना से पर्यावरण को भी स्वस्थ बनाने का प्रयास, जिले में 16 लाख से अधिक पौधे वितरित करने का लक्ष्य

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Published : Jun 10, 2022, 7:40 PM IST

वन विभाग योजना के तहत इस वर्ष औषधीय गुणों के साथ ही पर्यावरण को लाभ पहुंचाने वाले औषधीय पौधों का वितरण किया जाएग. जिसको लेकर वन विभाग ने तैयारियां शुरू कर दीं. इस योजना के तहत वन विभाग ने भरतपुर जिले में 16 लाख 98 हजार औषधीय पौधे वितरित करने का टारगेट दिया (More than 16 lakh plants will be distributed in Bharatpur) है.

Ghar Ghar Aushadhi Yojana
पौधे तैयार करती महिलाएं.

भरतपुर. कोरोना समय में शुरू की गई घर-घर औषधि योजना में इस वर्ष एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है. वन विभाग योजना के तहत इस वर्ष औषधीय गुणों के साथ ही पर्यावरण को लाभ पहुंचाने वाले औषधीय पौधों का भी वितरण किया जाएगा. इसके लिए वन विभाग ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. योजना के तहत भरतपुर जिले को मानसूनी सीजन में 16 लाख 98 हजार औषधीय पौधे वितरित करने का लक्ष्य दिया गया (More than 16 lakh plants will be distributed in Bharatpur) है.

डीएफओ अभिमन्यु सहारण ने बताया की घर-घर औषधि योजना के तहत चार प्रकार के पौधे वितरित किए थे. जिनमें तुलसी, अश्वगंधा, कालमेघ और गिलोय शामिल थे. ये औषधीय पौधे ऐसे हैं जो छोटे आकार के होते हैं और पेड़ के रूप में विकसित नहीं हो पाते, इसलिए वन विभाग का मानना है कि इस वर्ष योजना में ऐसे औषधीय पौधों को भी शामिल किया जाए. जो बड़े होकर पेड़ और वृक्ष बन जाते हैं.

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हालांकि अभी तक राज्य सरकार की ओर से ऐसे पौधों को योजना में शामिल करने के लिए चिह्नित नहीं किया गया है. लेकिन फिर भी अर्जुन, हरड,सहजन, अमलतास जैसे कई पौधे हैं, जो औषधीय गुणों से भरपूर हैं और पेड़ के रूप में विकसित होकर पर्यावरण को भी लाभ पहुंचाते हैं. अभिमन्यु सहारण ने बताया कि इस वर्ष योजना के तहत समय पर कार्य शुरू हो गया है और 1 अगस्त से जिले भर में 16 लाख 98 हजार औषधीय पौधों का वितरण किया जाएगा. प्रत्येक परिवार को 8-8 पौधे वितरित किए जाएंगे. नर्सरियों में औषधीय पौधों को लेकर तैयारी शुरू कर दी है.

इस नर्सरी में इतने औषधीय पौधे

  • भरतपुर केंद्रीय नर्सरी 2.50 लाख पौधे
  • हलैना 1 लाख
  • खेरली मोड़ 1 लाख
  • डेहरा मोड़ 1 लाख
  • बयाना 2.25 लाख
  • वैर 2.25 लाख
  • डीग सदर नर्सरी 2.18 लाख
  • सीकरी 2 लाख
  • कामां अस्थाई नर्सरी में 3 लाख औषधीय पौधे तैयार किए जा रहे हैं।

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