मौसम की तेजी ने प्रवासी पक्षियों को किया मजबूर, समय से पहले लौटे... भरतपुर.दुनिया भर में मौसम में हो रहे बदलाव का असर विश्व विख्यात केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान और इसमें प्रवास करने वाले पक्षियों पर भी देखने को मिल रहा है. बीते करीब दो-तीन साल से लगातार समय से पहले तापमान में तेजी आ रही है. इस बार भी फरवरी में ही भरतपुर का तापमान 35 डिग्री से ऊपर निकल गया. जिसका सीधा असर उद्यान में पक्षियों के प्रवास पर देखने को मिला. उद्यान के अधिकतर पक्षी इस बार समय से पहले ही फरवरी माह के अंत में ही यहां से विदाई ले गए. अब यहां आने वाले पक्षी प्रेमियों को भी मायूस लौटना पड़ रहा है.
मार्च तक रुकते हैं पक्षी: नेचर गाइड एवं होटल व्यवसायी देवेंद्र सिंह ने बताया कि सामान्य तौर पर केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पक्षियों का प्रवास काल मार्च माह के अंतिम सप्ताह तक माना जाता है. लेकिन बीते करीब दो-तीन साल से समय से पहले तापमान में तेजी देखने को मिल रही है. फरवरी के अंतिम सप्ताह तक तापमान में तेजी बढ़ जाती है. इस बार भी यही वजह रही कि फरवरी में तापमान औसत से अधिक पहुंच गया और उद्यान में मौजूद करीब 350 प्रजाति के प्रवासी पक्षी यहां से समय से पहले ही विदाई ले गए.
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मौसम विभाग के आंकड़ों की मानें तो भरतपुर में फरवरी का औसत तापमान 22 डिग्री से 26 डिग्री के बीच रहता है. लेकिन इस बार फरवरी मध्य में ही तापमान 35 डिग्री से ऊपर निकल गया. तापमान में आई अचानक तेजी से पक्षियों का प्रवास काल गड़बड़ा गया और अधिकतर पक्षी फरवरी के अंतिम सप्ताह तक विदाई ले गए. देवेंद्र सिंह ने बताया कि पक्षी प्रेमी मार्च के अंतिम सप्ताह तक घूमने आते हैं. कुछ पक्षी प्रेमी ऐसे भी हैं, जो आने से पहले होटल व्यवसायी या नेचर गाइड से बात कर उद्यान में पक्षियों की जानकारी ले लेते हैं. जो बिना जानकारी भरतपुर पहुंच रहे हैं, उन्हें उद्यान में पक्षी नजर नहीं आने पर काफी मायूसी हो रही है.
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एडवांस बुकिंग भी घटी: यहां नियमित रूप से आने वाइल्डलाइफर अब 15 मार्च तक पहुंच रहे हैं. होटलों की एडवांस बुकिंग भी 15 मार्च तक है. कुछ विदेशी पर्यटक जरूर 15 मार्च के बाद भी यहां पहुंचेंगे. पहले नियमित वाइल्डलाइफर 30 मार्च तक एडवांस बुकिंग कराकर उद्यान आते थे. लेकिन अब एडवांस बुकिंग की अवधि भी 15 मार्च तक रह गई है. गौरतलब है कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में 350 से अधिक प्रजाति के प्रवासी पक्षी आते हैं. ये पक्षी अक्टूबर में यहां आना शुरू हो जाते हैं और सामान्य तौर पर मार्च अंतिम सप्ताह तक प्रवास करते हैं. लेकिन बीते दो-तीन साल में इन पक्षियों की प्रवास अवधि फरवरी अंतिम सप्ताह तक रह गई है. देवेंद्र सिंह ने बताया कि फिलहाल उद्यान में स्थानीय पक्षियों के अलावा बार हेडेड गूज, कॉमन कूट आदि पक्षी ही रुके हुए हैं. ये भी जल्द ही यहां से पलायन कर जाएंगे.