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Special: विदेशी पक्षियों से चहचहाने लगा 'केवलादेव', सैलानियों की उमड़ने लगी भीड़

सर्दियों के शुरू होते ही केवलादेव नेशनल पार्क में प्रवासी पक्षियों का आना-जाना शुरू हो गया है. इसके साथ ही पक्षियों को देखने के लिए देशी-विदेशी पर्यटक भी आने लगे हैं. इसको ध्यान में रखते हुए पार्क प्रबंधन अपने तरफ से तैयारियों में जुटा हुआ है.

migratory birds in keoladeo national park, केवलादेव नेशनल पार्क में प्रवासी पक्षी
केवलादेव नेशनल पार्क में प्रवासी पक्षी

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Published : Dec 19, 2019, 11:57 AM IST

Updated : Dec 19, 2019, 12:09 PM IST

भरतपुर.केवलादेव नेशनल पार्क में सर्दी के इस मौसम में प्रवासी पक्षियों का आना शुरू हो गया है. वहीं इन पक्षियों को देखने के लिए भारी तादाद में पर्यटक भी आ रहे हैं. इसको लेकर नेशनल पार्क प्रबंधन ने भी तैयारियां शुरू कर दी.

वहीं इसके बाबजूद यहां पार्क में कई समस्याएं हैं, जिनमें से पक्षियों के लिए पानी की कमी एक बड़ी समस्या है. साथ ही भारी मात्रा में पैदा होने वाले देसी बबूल की झाड़ भी एक बड़ी समस्या है, जिसके कारण पक्षियों को परेशानी होती है. वहीं इससे पर्यटन भी प्रभावित हो रहा है. हालाकिं इसके निदान के लिए पार्क प्रबंधन लगातार प्रयास कर रहा है.

केवलादेव नेशनल पार्क में प्रवासी पक्षी

जल्दी ही पार्क से बबूल की झाड़ियों को पूरी तरह उखाड़ दिया जाएगा और पानी के पानी की अच्छी आवक की भी व्यवस्था की जा रही है. वहीं कैट फिश प्रजाति की मछलियों को भी पिछले सालों में पार्क के जलाशयों से धीरे-धीरे हटाया जा रहा है. जिससे की अब जलशयों में अन्य प्रजाति के मछलियों की तादाद में इजाफा हुआ है. वहीं इससे पक्षियों को ज्यादा मछलियां भी मिल रही हैं.

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पानी ना मिलना पार्क के लिए बड़ी समस्या...

केवलादेव नेशनल पार्क में देसी बबूल, घास, जैसी अनेक समस्याएं हैं, जिनके निदान के लिए प्रशासन प्रयासरत है. लेकिन पानी की पर्याप्त आपूर्ती नहीं हो पाना सबसे बड़ी समस्या है. जिसके लिए फिलहाल गोवर्धन ड्रेन और चम्बल से पानी लिया जा रहा है. लेकिन इस पानी में पक्षियों के लिए खाने के अच्छे इंतजाम नहीं है, जिसको लेकर प्रशासन काफी चिंतित है.

पहले पार्क के लिए पांचना बांध से मिलने वाले पानी में पक्षियों के लिए काफी अच्छा भोजन मिलता था. लेकिन वहां से पानी बंद होने से यह समस्या पनप रही है. यहां के लिए 550 एमसीएफटी पानी की जरूरत होती है. लेकिन महज 400 एमसीएफटी के करीब ही पानी उपलब्ध है.

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केवलादेव पक्षी उधान के निदेशक मोहित गुप्ता ने बताया कि पार्क में मौजूद बबूल की झाड़, घास, आवारा जानवरों से राहत पाने के प्रयास किये जा रहे हैं. बबूल को हटाने के लिए केंद्र सरकार से 10 लाख रुपये का बजट मिला है. आगामी सीजन में इसके लिए काम शुरू किया जायेगा.

गौरतलब है कि पानी की कमी से पार्क के विश्व विरासत के सिंबल पर खतरा मंडरा रहा था. लेकिन पानी की आबक होने से यह बाल-बाल बचा और अब प्रबंधन कोशिश में जुटा है कि पक्षियों के खाने के लिए पर्याप्त प्रबंध हो. जिससे प्रवासी पक्षियों के खाने के लिए कोई समस्या नहीं रहे. साथ ही पर्यटन को और बढ़ावा मिले.

Last Updated : Dec 19, 2019, 12:09 PM IST

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