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महाराजा सूरजमल बलिदान दिवस आज, महारानी किशोरी के साहस ने लिया था बलिदान का बदला

Maharaja Surajmal 260th Sacrifice Day, महारानी किशोरी भी अपने पति महाराजा सूरजमल के साथ युद्ध लड़ती थीं. पराक्रम ऐसा की अपने बेटे के साथ मिलकर बलिदान का बदला लिया था. महाराजा सूरजमल के 260वें बलिदान दिवस पर जानते हैं महारानी किशोरी के पराक्रम की कहानी.

Maharaja Surajmal 260th Sacrifice Day
महारानी किशोरी और महाराजा सूरजमल

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 25, 2023, 9:26 AM IST

Updated : Dec 25, 2023, 12:46 PM IST

महाराजा सूरजमल बलिदान दिवस आज, महारानी ने लिया था बदला

भरतपुर. इतिहास में महाराजा सूरजमल का पराक्रम, रणनीति और युद्ध कौशल स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है. त्रेता युग में जिस तरह से महाराज दशरथ के साथ उनकी रानी कैकई युद्ध के मैदान में जाती थीं, उसी तरह महाराजा सूरजमल की धर्मपत्नी महारानी किशोरी भी उनके साथ युद्ध मैदान में दुश्मन से लड़ाई लड़ती थीं. एक ब्राह्मण कन्या की आबरू बचाने के लिए जब महाराजा सूरजमल ने अपना बलिदान दे दिया तो उनकी वीर पराक्रमी धर्मपत्नी महारानी किशोरी ने अपने बेटे महाराजा जवाहर सिंह के साथ मिलकर दिल्ली फतेह कर महाराजा सूरजमल के बलिदान का बदला लिया था.

इतिहासकार रामवीर सिंह वर्मा ने ईटीवी भारत से खात बातचीत में बताया कि दिल्ली के वजीर के सेनापति ने एक ब्राह्मण कन्या को अपहरण कर अपने हरम में रख लिया था. ब्राह्मण कन्या ने महाराजा सूरजमल को पत्र लिखकर खुद की इज्जत और धर्म की रक्षा की गुहार लगाई थी. इसके बाद महाराजा सूरजमल ने दिल्ली के इमाद नजीबुद्दौला के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया. साथ में महारानी किशोरी भी युद्ध मैदान में थीं. इस युद्ध में महाराजा सूरजमल ने ब्राह्मण कन्या की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए.

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महाराजा सूरजमल के बलिदान के बाद उनके बेटे महाराजा जवाहर सिंह को गद्दी पर बैठाया गया. महाराजा जवाहर सिंह से महारानी किशोरी ने अपने पिता महाराजा सूरजमल के बलिदान का बदला लेने के लिए और युद्ध की तैयारी करने के लिए कहा. इतिहासकार रामवीर सिंह वर्मा ने बताया कि महाराजा सूरजमल के बलिदान का बदला लेने के लिए महाराजा जवाहर सिंह ने अक्टूबर 1764 में 100 तोप और 60 हजार सैनिकों के साथ दिल्ली पर चढ़ाई कर दी.

सूरजमल का पराक्रम, रणनीति और युद्ध कौशल स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है

महाराजा जवाहर सिंह के साथ उनकी माता महारानी किशोरी भी युद्ध लड़ने के लिए साथ गईं. महाराजा सूरजमल के नेतृत्व में जाट सैनिकों ने नजीबुद्दौला की सेना में हाहाकार मचा दिया, लेकिन दिल्ली के किले पर लगा नुकीली कीलों वाला गेट नहीं टूटने की वजह से जाट सेना किले में दाखिल नहीं हो पाई.

महारानी किशोरी ने वीर सैनिक पुष्कर सिंह भकरिया को किले के गेट पर खड़ा होने को बोला. उसके बाद महाराजा जवाहर सिंह और महारानी किशोरी के हाथी ने गेट में टक्कर मार कर उसे तोड़ दिया. महाराजा जवाहर सिंह के नेतृत्व में जाट सैनिकों ने दिल्ली में खूब लूटपाट की और दिल्ली के किले पर लगे हुए गेट को उखाड़ कर भरतपुर ले आए. यह वही गेट था जिसे अलाउद्दीन खिलजी चित्तौड़गढ़ के किले से लेकर गया था. यह गेट आज भी भरतपुर के लोहागढ़ किले में लगा हुआ है.

Last Updated : Dec 25, 2023, 12:46 PM IST

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