राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

Special: मुगलों के खजाने में कैद थी पृथ्वीराज चौहान की इष्टदेवी, ऐसे हुई भरतपुर में मां राजराजेश्वरी की स्थापना

आज हम आपको भारत के अंतिम हिंदू शासक पृथ्वीराज चौहान की इष्टदेवी के बारे में बताएंगे. साथ ही यह भी बताएंगे कि चौहान वंश की इष्टदेवी की प्रतिमा आखिरकार दिल्ली से भरतपुर कैसे आई ? और किस महाराजा ने यहां मंदिर का (Maa Rajrajeshwari Temple in Bharatpur) निर्माण करवाया...

Chaitra Navratri 2023
Chaitra Navratri 2023

By

Published : Mar 28, 2023, 4:21 PM IST

माता राजराजेश्वरी देवी का मंदिर

भरतपुर.लोहागढ़ दुर्ग के पास सुजान गंगा नहर के किनारे पर माता राजराजेश्वरी देवी का मंदिर स्थित है. यह मंदिर शहरवासियों की आस्था का प्रमुख केंद्र है. नवरात्रि में इस मंदिर की महिमा और बढ़ जाती है. बताया जाता है कि माता राजराजेश्वरी चौहान वंश के राजा पृथ्वीराज चौहान की इष्टदेवी थी. लेकिन राजराजेश्वरी देवी की प्रतिमा की महाराजा जवाहर सिंह ने भरतपुर में स्थापना कराई और मंदिर का निर्माण करवाया. देवी मां की प्रतिमा भरतपुर कैसे पहुंची? इसका बड़ा ही रोचक इतिहास है.

मंदिर के पुजारी अजय शर्मा ने बताया कि राजराजेश्वरी देवी अंतिम हिंदू शासक पृथ्वीराज चौहान की इष्टदेवी हैं. पृथ्वीराज चौहान ने दिल्ली पर भी शासन किया था. मुगलों का दिल्ली पर कब्जा हुआ तो उन्होंने राजराजेश्वरी देवी की प्रतिमा को एक बक्से में बंद कर खजाने में रख दिया था. जब भरतपुर के महाराजा जवाहर सिंह ने दिल्ली फतेह की तो मुगलों के खजाने को लूटकर भरतपुर ले आए.

इसे भी पढ़ें - Special: मां के इस 27वें शक्तिपीठ के दर्शन मात्र से बनेंगे बिगड़े काम, महिमा और कथा के श्रवण होगा कल्याण

सपने में आई देवी मां - पुजारी अजय शर्मा ने बताया कि खजाने में माता राजराजेश्वरी देवी की प्रतिमा वाला बक्सा भी भरतपुर पहुंचा. लेकिन महाराज जवाहर सिंह को इसकी जानकारी नहीं थी. एक रात सपने में महाराजा जवाहर सिंह को माता राजराजेश्वरी दिखीं और उन्होंने बक्सा खोलकर प्रतिमा निकालने के लिए कहा. महाराज ने अगले दिन सुबह जागकर खजाने में रखा बक्सा खोलकर दिखवाया तो उसमें माता की प्रतिमा निकली. महाराजा जवाहर सिंह ने उसी समय माता राजराजेश्वरी देवी की प्रतिमा की सुजान गंगा नहर के किनारे स्थापना कराई और मंदिर का निर्माण करवाया. तभी से यहां माता राजराजेश्वरी देवी शहरवासियों के आस्था का केंद्र बनी हुई हैं.

साल में दो बार चरणों के दर्शन -पुजारी अजय ने बताया कि माता की प्रतिमा बड़ी ही आकर्षक है. माता ने अपने चरणों के नीचे महिषासुर को दबा रखा है. नवरात्रि में माता का अष्टभुजा रूप में विशेष श्रृंगार किया जाता है. माता के श्री चरणों के दर्शन साल में दो बार चैत्र नवरात्रि और क्वार नवरात्रि की अष्टमी को होता है. नवरात्रि में मंदिर में भक्तों की भीड़ लगी रहती है. मान्यता है कि जो भी भक्त यहां सच्चे मन से आता है, माता उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details