भरतपुर. दुनिया भर में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान को यहां पाई जाने वाली पक्षियों की सैकड़ों प्रजातियों की वजह से जाना जाता है. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान अपने अंदर विशाल जैव विविधता को भी संजोए हुए है. बहुत कम लोग ही इस बात से वाकिफ हैं कि यहां पर सांपों की 13 प्रजातियां पाई जाती हैं. इनमें कुछ प्रजातियां तो बहुत ही विषैली हैं. वहीं कई सर्प बिना विष वाले भी यहां पाए जाते हैं. इतना ही नहीं यहां सैकड़ों की संख्या में अजगर भी मौजूद हैं. आइए जानते हैं कि घना में कौन कौन सी प्रजाति के सर्प मौजूद हैं.
सेवानिवृत्त रेंजर भोलू अबरार खान ने बताया कि उद्यान में यूं तो 350 से अधिक प्रजाति के पक्षी प्रवास करते हैं. दुनिया में इसे पक्षी अभ्यारण के रूप में पहचाना जाता है. लेकिन हकीकत में केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान जैव विविधता का भंडार है. यहां न केवल पक्षी बल्कि तितलियां, कछुए, वन्यजीव और सरीसृप भी पाए जाते हैं. बहुत कम लोग यह जानते हैं कि उद्यान में सर्प की 13 प्रजाति मौजूद हैं.
ये प्रजाति मौजूद :रेंजर भोलू अबरार खान ने बताया कि वर्ष 1986 से 1990 के दौरान पर्यावरणविद एस भूपति के अध्ययन में सामने आया था कि उद्यान में कुल 13 प्रजाति के सर्प मौजूद हैं. इनमें कई तरह के वाटर स्नेक, रैट स्नेक, वुल्फ स्नेक, इंडियन कोबरा, कॉमन सेंड बोआ स्नेक, रेड सेंड बोआ स्नेक, कैट स्नेक, वुल्फ स्नेक, कुकरी स्नेक, रिबन स्नेक, इंडियन क्रेट, स्पेक्टेबेल्ड कोबरा, रसेल वाइपर मौजूद हैं.