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Janmashtami 2023 : बांसुरी की धुन सुनकर मोम की तरह पिघल गईं थी पहाड़ी, आज भी मौजूद हैं भगवान श्री कृष्ण के चरणों के निशान - Rajasthan Hindi news

भरतपुर का कामां क्षेत्र भागवान श्री कृष्ण की लीलाओं के लिए जाना जाता है. यहां पहाड़ियों में उनके चरणों के निशान मिलते हैं, जिसके कारण इस पहाड़ी को चरण पहाड़ी कहा जाने लगा. जन्माष्टमी पर हम भगवान श्री कृष्ण की ऐसी ही रोचक लीलाओं से आपको रूबरू कराएंगे.

Janmashtami 2023
Janmashtami 2023

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 6, 2023, 9:47 PM IST

यहां मौजूद हैं भगवान श्री कृष्ण के चरणों के निशान

भरतपुर.ब्रज का कण-कण भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं की गाथा से भरा पड़ा है. भगवान श्री कृष्ण अपने बाल सखाओं के साथ पूरे ब्रज में गौचरण और लीलाएं करते रहते थे. जिले का कामां क्षेत्र भगवान श्री कृष्ण की प्रमुख लीलास्थली रहा है. बताया जाता है कि यहां के पहाड़ों में भगवान श्री कृष्ण अपने बाल सखाओं के साथ गाय चराने आते थे. यहां की पहाड़ियों में आज भी भगवान श्री कृष्ण के चरणों के निशान मिलते हैं. यही वजह है कि इस पहाड़ी का नाम ही चरण पहाड़ी पड़ गया.

पहाड़ पर खड़े होकर बांसुरी बजाने लगे थे कृष्ण : ब्रज के साहित्यकार डॉ. भगवान मकरंद ने अपनी पुस्तक 'मैं कामवान हूं' में लिखा है कि द्वापरयुग में भगवान कृष्ण अपने सखाओं के साथ कामां की पहाड़ियों में गाय चराने आते थे. बताया जाता है एक बार गौचारण के लिए आए भगवान श्री कृष्ण अपने सखाओं के साथ लुकछुपी खेलने लगे. बाल सखाओं ने भगवान कृष्ण को बहुत तलाश किया, लेकिन वो नहीं मिले. इसपर बाल सखा व्याकुल होने लगे. भगवान कृष्ण ने बाल सखाओं के मन की दशा जानकर दूर पहाड़ पर खड़े होकर बांसुरी बजाना शुरू किया.

चरण पहाड़ी के नाम से पड़ा मंदिर

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आज भी मौजूद हैं चरणों के निशान : पंडित प्रेमी शर्मा ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण की बांसुरी की मधुर धुन से पहाड़ के पत्थर मोम की तरह पिघलने लगे. कुछ समय बाद बांसुरी की धुन सुनकर बाल सखा प्रसन्न हो गए और सभी का मिलन हो गया. इस दौरान पहाड़ी पर भगवान श्री कृष्ण के चरणों के निशान बन गए, जो आज भी मौजूद हैं. यही वजह है कि इस पहाड़ी को चरण पहाड़ी के नाम से जाना जाता है. आज यह पहाड़ी पूज्य स्थल बन गया है. यहां सैकड़ों श्रद्धालु भगवान श्री कृष्ण के चरणों की वंदना करने आते हैं. मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण के चरणों के दर्शन से भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और वो कृष्ण के परम धाम को प्राप्त करते हैं.

सखाओं के साथ बैठकर किया भोजन :पंडित प्रेमी शर्मा ने बताया कि कामां क्षेत्र के परिक्रमा मार्ग में पहाड़ी पर स्थित एक स्थान को भोजन थाली के नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि यहां पर गौचारण के समय भगवान श्री कृष्ण अपने बाल सखाओं के साथ बैठकर भोजन करते थे. पहाड़ी पर आज भी थाली और कटोरी के निशान मौजूद हैं. ब्रज क्षेत्र के गांव-गांव में भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाओं की कथाएं प्रचलित हैं. माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण नंदगांव, बरसाना, कामां, डीग तक बाल लीला करते हुए विचरण किया करते थे. यहां जगह जगह कृष्ण लीलाओं के प्रमाण और किवदंतियां प्रचलित हैं.

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