मेव समाज के हिन्दू होने को लेकर क्या बोले इतिहासकार... भरतपुर.रामगढ़ से कांग्रेस विधायक साफिया जुबेर ने गत दिनों मेवात और मेवों को लेकर बड़ा बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि मेवात कृष्ण की धरती है और मेव राम-कृष्ण के वंशज हैं. विधायक साफिया के इस बयान को इतिहासकार भी सही ठहरा रहे हैं.
इतिहास और इतिहासकारों की मानें तो भरतपुर से हरियाणा तक फैले मेवात के सभी मेव पहले हिंदू थे और मुगल शासक औरंगजेब ने इनका जबरन व प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराया था. इतना ही नहीं इन मेवों ने भरतपुर के महाराज सूरजमल और महाराज जवाहर सिंह के साथ दिल्ली पर चढ़ाई भी की थी. कई युद्ध भी लड़े थे. इतिहासकार रामवीर सिंह वर्मा ने इस तथ्य का जिक्र अपनी पुस्तक 'लोहागढ़ की यशोगाथा' में भी किया है.
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इतिहासकार रामवीर सिंह वर्मा ने बताया कि विधायक साफिया जुबेर का बयान बिल्कुल सही है. यह ऐतिहासिक सत्य है कि मेव नाम की कोई कौम नहीं थी. मुगल शासक औरंगजेब ने जबरन और प्रलोभन के माध्यम से हिंदुओं का धर्मांतरण कराकर उन्हें मेव (मुसलमान) बनाया. इतिहासकार वर्मा ने बताया कि श्री कृष्ण की वंशावली देखी जाए तो भरतपुर राजपरिवार के एक व्यक्ति खोह में रहने लग गए थे, जो बाद में खानजादा कहलाए.
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मंत्री जाहिदा के पिता को चौधरी की उपाधि: इतिहासकार रामवीर वर्मा ने बताया कि मंत्री जाहिदा खान के पिता तैयब हुसैन को एक सर्व खाप पंचायत में जाट, राजपूत और अन्य हिंदू समाज के लोगों द्वारा चौधरी की उपाधि दी गई थी. इसलिए विधायक साफिया का बयान ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में बिल्कुल सही है. इतिहासकार रामवीर वर्मा ने बताया कि ऐसा नहीं है औरंगजेब ने सभी धर्मांतरण जबरन किए, बल्कि कुछ धर्मांतरण उन्होंने प्रलोभन देकर भी किए गए. उन्होंने धर्मांतरण कर हिंदू से मुसलमान बने लोगों को नौकरी और जागीरें दीं. उनसे नजराना नहीं लिया जाता था. ऐसे प्रलोभन के चलते भरतपुर से हरियाणा तक के काफी हिंदूओं ने धर्मांतरण कर लिया और मेव बन गए. यहां तक कि मेवों के कई सामाजिक संस्कार आज भी हिंदुओं से मिलते जुलते हैं.
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दिल्ली पर आक्रमण किया:रामवीर वर्मा ने बताया कि मेवों की फौज भी रही है. मेवों ने नागा साधुओं के साथ मिलकर महाराजा सूरजमल और महाराज जवाहर सिंह के साथ दिल्ली पर आक्रमण भी किया था. यदि इनमें हिंदू रक्त नहीं होता, तो ये महाराजा सूरजमल व महाराजा जवाहर सिंह के साथ मिलकर युद्ध क्यों लड़ते. रामवीर वर्मा ने बताया कि उन्होंने अपनी पुस्तक 'लोहागढ़ की यशोगाथा' में इस तथ्य का जिक्र किया है. वर्मा ने बताया कि जब महाराजा जवाहर सिंह दिल्ली फतह करके लौट रहे थे, तो महाराजा सूरजमल ने धर्मांतरण के बाद मुसलमान बने जाटों को फिर से धर्मांतरण कराकर हिंदू बनाया. उनको गंगा स्नान कराकर हिंदू धर्म में स्वीकार कराया और वो आज भी नौहवार जाट के रूप में जाने जाते हैं. साथ ही उनके जाटों में शादी रिश्ते भी होते हैं. उन्होंने कहा कि हमारा देश बहुरंगी देश है. यहां धर्म से ज्यादा मानवता को महत्व दिया जाता है.