भरतपुर. बड़ी संख्या में किसान आज भी परंपरागत खेती कर रहे हैं. लेकिन कुछ किसान परंपरागत खेती को छोड़कर प्रगतिशील तरीके से खेती और बागवानी कर रहे हैं और लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं. ऐसा ही एक उदाहरण जिले के छौंकरवाड़ा कला गांव के किसान द्वारिका प्रसाद गोयल का है. वे जैविक तरीके से आंवला और अमरूद की बागवानी से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. द्वारिका प्रसाद की ओर से पैदा किए जाने वाले आंवला की मांग कई बड़ी आयुर्वेदिक कंपनियों में है. वहीं, खास स्वाद की वजह से अमरूद भी अरब देशों तक सप्लाई हो रहा है.
ऐसे शुरू की जैविक बागवानी: किसान द्वारका प्रसाद ने बताया कि उन्होंने पास के एक गांव में एक किसान का आंवला का बाग देखा था. उसकी अच्छी पैदावार देखकर मन में आंवला का बगीचा लगाने की इच्छा हुई. किसान ने परंपरागत खेती के बजाए साल 2008 में साढ़े 9 बीघा जमीन में आंवला के पौधे लगा दिए. शुरुआत में पैदावार भी कम रही और भाव भी अच्छे नहीं मिले, लेकिन किसान ने हिम्मत नहीं हारी. धीरे-धीरे किसान को पैदावार और भाव अच्छे मिलने लगे.
जैविक हैं आंवला: किसान ने राज्य सरकार से जैविक आंवला वर्ष 2017 में प्रमाणीकरण भी करा लिया. इसलिए देश की जानी मानी आयुर्वेदिक कंपनियों में इस आंवले की सप्लाई शुरू हो गई. अब शहर के अलावा मथुरा, दिल्ली, जयपुर जैसी मंडियों में आंवला की मांग रहती है. किसान द्वारका प्रसाद ने बताया कि परंपरागत खेती में किसान को प्रति बीघा मुश्किल से 20 से 25 हजार रुपए तक की आय होती है, लेकिन आंवला की खेती में प्रति बीघा किसान करीब 50 हजार रुपए तक का मुनाफा कमा सकता है. इतना ही नहीं जैविक बागवानी में किसान को कम मेहनत और लागत आती है.