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केवलादेव में फिर नजर आएंगे काले हिरण, अन्य वन्यजीवों को भी री-इंट्रोड्यूस करने की योजना - केवलादेव में फिर नजर आएंगे काले हिरण

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में कई वन्यजीवों को री-इंट्रोड्यूस किया जाएगा. इनमें इस उद्यान से विलुप्त हो चुके काले हिरण, ऑटर एवं फिशिंग कैट जैसे वन्यजीव शामिल (Black Buck Rehabilitation in Ghana) हैं. इसके लिए उद्यान में ग्रासलैंड विकसित किया जा रहा है.

Black Buck Rehabilitation in Ghana along with other wildlife animals
केवलादेव में फिर नजर आएंगे काले हिरण, अन्य वन्यजीवों को भी री-इंट्रोड्यूस करने की योजना

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Published : Dec 10, 2022, 9:28 PM IST

भरतपुर.जैव विविधता के लिए अपनी खास पहचान रखने वाले केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में फिर से कई वन्यजीवों को री-इंट्रोड्यूस किया (Black Buck Rehabilitation in Ghana) जाएगा. इसके लिए उद्यान प्रशासन ने तैयारियां तेज कर दी हैं. इससे पहले केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान से 850 चीतलों को प्रदेश के चार अन्य टाइगर रिजर्व में शिफ्ट किया जाएगा. प्रथम चरण में 174 चीतलों को मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में शिफ्ट किया जा चुका है.

यहां शिफ्ट होंगे चीतल: केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के एसीएफ नारायण सिंह नरूका ने बताया कि योजना के तहत उद्यान से 850 चीतलों को मुकुंदरा, कैलादेवी सेंचुरी, रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व और जयपुर के झालाना में शिफ्ट किया जाएगा. बरसात से पहले मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में 174 चीतलों को शिफ्ट कर दिया गया है. अब घना और मुकुंदरा के स्टाफ को शिफ्टिंग का प्रशिक्षण दे दिया गया है. जल्द ही फिर से शिफ्टिंग शुरू की जाएगी. असल में केवलादेव में चीतलों की संख्या करीब 3500 से अधिक है. वहीं मुकुंदरा टाइगर रिजर्व समेत अन्य टाइगर रिजर्व में चीतलों की जरूरत महसूस हो रही है. इसी के चलते यहां से चीतलों को शिफ्ट किया जा रहा है.

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विलुप्त वन्यजीव फिर से दिखेंगे: एक तरफ जहां केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान से चीतलों को प्रदेश के टाइगर रिजर्व में शिफ्ट किया जा रहा है. वहीं यहां से विलुप्त हो चुके काले हिरण, ऑटर एवं फिशिंग कैट को फिर से री-इंट्रोड्यूस करने की तैयारी है. इसके लिए केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में जूली फ्लोरा को हटाकर ग्रासलैंड विकसित करने का काम चल रहा है. गौरतलब है कि 1980 के दशक में उद्यान में काले हिरण, ऑटर एवं फिशिंग कैट मौजूद थे.

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जैव विविधता का भंडार है घना:गौरतलब है कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान जैव विविधता का भंडार है. पूरे राजस्थान में जहां पक्षियों की 510 प्रजातियां पाई जाती हैं, वहीं अकेले केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में पक्षियों की 380 प्रजातियां चयनित की जा चुकी हैं. यहां रेंगने वाले जीवों की 29 प्रजाति, तितलियों की 80 प्रजाति, मेंढक की 9 प्रजाति और कछुओं की 8 प्रजाति उद्यान में मौजूद हैं.

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