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Crisis on Mustard Oil Business : कई माह बंद रहीं भरतपुर की मिलें, विदेशी तेल में सस्ती के चलते सरसों तेल के भाव और मांग घटी - Crisis on Mustard Oil Business

भरतपुर में सरसों तेल व्यवसाय पर अब भी संकट बरकरार (Bharatpur Mustard oil crisis) है. पहले सरसों की बिक्री नहीं होने के कारण तेल मिलें कई महीनों तक बंद पड़ी रहीं. अब विदेशी तेल की मांग बढ़ने से सरसों तेल की मांग और दाम, दोनों में गिरावट दर्ज की गई है.

Bharatpur Mustard oil demand declined
भरतपुर सरसों तेल की मांग में गिरावट

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Published : Mar 14, 2023, 7:34 PM IST

ग्राहकों को भा रहे विदेशी तेल

भरतपुर.सरसों तेल उत्पादन में भरतपुर जिला देश का अग्रणी जिला माना जाता है. पूरे देश में सरसों तेल का एक बड़ा भाग अकेले भरतपुर जिले में उत्पादित होता है. लेकिन अब भरतपुर के सरसों तेल व्यवसाय पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. हालात ये हैं कि सरसों फसल के सही भाव नहीं मिलने की वजह से जिले का किसान सरसों नहीं बेच रहा. कच्चा माल नहीं मिलने के कारण जिले की आधे से अधिक तेल मिलें महीनों तक बंद पड़ी रहीं. इतना ही नहीं, विदेशी तेल के कम भाव होने की वजह से सरसों तेल के दाम और मांग दोनों में गिरावट दर्ज हुई है.

किसानों ने मंडी से दूरी बनाई :सरसों मंडी और तेल मिल व्यवसाई भूपेंद्र गोयल ने बताया कि कोरोना काल में सरसों के भाव 8300 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गए थे. गत वर्ष ये भाव गिरकर 6500 रुपए प्रति क्विंटल तक आ गए. किसान इसी उम्मीद में रहा कि सरसों के भाव बढ़ेंगे और अच्छा मुनाफा मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. ऐसे में जिले के करीब 35% किसान ने सरसों की बिक्री नहीं की.

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महीनों तक बंद रहीं 60% मिलें :भूपेंद्र गोयल ने बताया कि किसानों के सरसों की बिक्री नहीं करने की वजह से तेल मिलों को कच्चा माल नहीं मिल पाया. इसका नतीजा ये रहा कि जिले की करीब 125 तेल मिलों में से 60 से 70 मिलें कई महीने तक बंद पड़ी रहीं. मिल मालिक कोटा, बारां से सरसों खरीदकर मिल चलाते रहे. इसके कारण करीब 2000 मजदूर बेरोजगार हो गए. अब मंडी में नई सरसों आने लगी है. इसके बाद फिर से मिलों में काम शुरू हो गया है. गोयल ने बताया कि प्रदेश में हर वर्ष 15 लाख मीट्रिक टन सरसों तेल का उत्पादन होता है. इसमें से अकेले भरतपुर में करीब 5 लाख मीट्रिक टन सरसों तेल का उत्पादन होता है. इस बार तेल मिलें बंद रहने से यह उत्पादन 5 लाख से गिरकर करीब साढ़े तीन लाख मीट्रिक टन ही रह गया.

सरसों तेल के भाव और मांग गिरी :भूपेंद्र गोयल ने बताया कि कोरोना काल में विदेशी तेल का आयात बंद हो गया था. ऐसे में सरसों तेल की मांग बढ़ गई थी. इससे भाव भी बढ़ गए. लेकिन अब विदेशी तेल का आयात ज्यादा हो रहा है. विदेशी तेल जैसे रिफाइंड, पाम ऑयल आदि से सरसों तेल की कीमत करीब 20 से 25 रुपए प्रति किलो तक अधिक है. पाम ऑयल 92 रुपए प्रति किलो जबकि सरसों तेल करीब 112 रुपए किलो बिक रहा है. सरसों तेल महंगा होने की वजह से भी सरसों तेल की मांग घट गई है. पिछले साल की तुलना में सरसों तेल के भाव में करीब 40 से 50 रुपए किलो तक की गिरावट आई है.

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भरतपुर में सरसों तेल उत्पादन से जुड़े फैक्ट्स :
1.प्रदेश में 15 लाख मीट्रिक टन सरसों तेल का उत्पादन होता है.
2.भरतपुर में हर वर्ष 5 लाख मीट्रिक टन सरसों तेल का उत्पादन होता है.
3.भरतपुर जिले में करीब 100 से 125 तेल मिलें हैं.
4.हर दिन औसतन 4000 मीट्रिक टन सरसों की पिराई.

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