भरतपुर. 'जब से हम शादी कर के गांव में आईं हैं, तब से ही पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. सिर पर मटका रख के दूर कुआं और बोरवेल से पानी लाना पड़ता है. हर 5 साल में चुनाव होते हैं, नेता आते हैं, वादा करते हैं लेकिन पानी नहीं मिलता.' ये कहना है भरतपुर शहर विधानसभा सीट के बरसो गांव के महिलाओं का. यह गांव भरतपुर मुख्यालय से महज 5 किमी दूर स्थित है. अब ग्रामीणों ने जिला निर्वाचन अधिकारी को ज्ञापन सौंपकर मतदान बहिष्कार की चेतावनी दी है. ग्रामीणों का कहना है कि जब तक पानी की स्थाई व्यवस्था नहीं की जाएगी, तब तक मतदान नहीं किया जाएगा.
ग्रामीण लोकेंद्र ने बताया कि बरसो गांव में करीब 600 घरों की आबादी है. पूरे गांव में चंबल के पानी की पाइपलाइन बिछाई गई है, लेकिन अभी तक गांव के सभी घरों को चंबल का पानी मिलना शुरू नहीं हुआ है. ग्रामीण महिलाएं सिर पर मटका रखकर गांव से काफी दूर कुआं और बोरवेल से पानी भरकर लाती हैं. वर्षों से गांव में पानी के यही हालात रहे हैं, लेकिन ना तो कोई नेता सुनता है ना ही प्रशासन. ऐसे में गांव के लोगों ने समस्या का समाधान होने तक मतदान का बहिष्कार कर दिया है.
पैसे देकर टैंकर से भरवा रहे पानी : गांव की महिला शारदा ने बताया कि वो 30 साल पहले शादी कर के गांव आई. तभी से गांव में पानी की समस्या बनी हुई है. पीने का पानी गांव के बाहर से मटकों में भरकर लाते हैं. घर के अन्य कार्यों के लिए हर दिन 500 रुपए प्रति टैंकर के हिसाब से पानी खरीदना पड़ता है.