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बच्चों पर भारी पड़ रही माता-पिता की लापरवाही, 8 साल में करीब 193 बच्चे एड्स से प्रभावित

हर साल 1 दिसम्बर को विश्व एड्स दिवस के रूप में मनाया जाता है. भरतपुर में बीते 8 वर्ष में एचआईवी पॉजिटिव महिलाओं की कोख से जन्मे करीब 193 बच्चे एचआईवी की गिरफ्त में है. हालांकि कई जागरूक मरीजों ने समय रहते उपचार कराया तो उनके बच्चे स्वस्थ पैदा हुए हैं.

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Published : Dec 1, 2019, 5:03 PM IST

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भरतपुर में 8 साल में करीब 193 बच्चे एड्स की चपेट में

भरतपुर. आज यानी 1 दिसम्बर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है और एड्स से बचाव के लिए लोगों को जागरूक किया जाता है. एड्स जैसी बीमारी से बचने के लिए कोई जागरूकता अभियान न चलाया जाए, तो समस्या और भी भयानक हो जाती है. यही वजह है कि एड्स आज हमारे लिए चुनौती बन गया है.

जानकारी के अनुसार जागरूकता के अभाव के चलते भरतपुर जिले में हर वर्ष अनेकों महिला-पुरुष एचआईवी/एड्स की चपेट में आ रहे हैं. लापरवाही के चलते जहां महिला व पुरुष खुद इस लाइलाज बीमारी की गिरफ्त में है तो वहीं उनकी यह लापरवाही उनके बच्चों पर भी भारी पड़ रही है.

भरतपुर में 8 साल में करीब 193 बच्चे एड्स की चपेट में

समय पर उपचार नहीं होने की वजह से कई बच्चे जन्म से ही इस घातक बीमारी के चपेट में आ रहे हैं. वहीं आकड़े बताते हैं कि बीते 8 वर्ष में एचआईवी पॉजिटिव महिलाओं की कोख से जन्मे करीब 193 बच्चे एचआईवी की गिरफ्त में है. हालांकि, कई जागरूक मरीजों ने समय रहते उपचार कराया तो उनके बच्चे स्वस्थ पैदा हुए हैं.

एड्स से बचाव के संदर्भ में आरबीएम जिला अस्पताल के एआरटी सेंटर प्रभारी डॉ. हरीश शर्मा का कहना है कि लोग जागरूकता के अभाव के चलते एचआईवी/एड्स की चपेट में आ रहे हैं.

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उन्होंने कहा कि जिले में हर महीने 30 से 40 नए मरीज सामने आ रहे हैं, जो चिंता का विषय है. डॉ. शर्मा ने बताया के सेंटर में एचआईवी/एड्स मरीजों के उपचार की सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं. यहां आईसीटीसी लैब में जांच की सभी सुविधाओं समेत सीडी 4 जांच की सुविधा भी उपलब्ध है.

वहीं भरतपुर नेटवर्क फॉर पीपुल लिविंग विद एचआईवी/एड्स सोसायटी के जिला प्रभारी गजेंद्र का कहना है कि वर्ष 2013 से अब तक जिले में कुल 2724 एचआईवी/एड्स मरीज सोसाइटी में पंजीकृत हुए हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि बीते 8 वर्ष में 193 बच्चे जन्म से ही एचआईवी एड्स की चपेट में हैं. वहीं जिले में करीब 150 बच्चे ऐसे भी है, जिनके एचआईवी/एड्स पॉजिटिव माता-पिता ने समय रहते उपचार करवाया, जो अभी एडस से बचे हुए हैं.

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