भरतपुर. प्रदेश में इन दिनों सूरज से निकलने वाली आग ने मानव जन-जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है. तपती धरती और चिलचिलाती धूप ने आमजन को झकझोर कर रख दिया. ऐसे विपरीत वातावरण में किसी सार्वजनिक जगह पर पानी व छाया कि व्यवस्था नहीं हो तो आपकी क्या स्थिति होगी. जाहिर है प्रशासन के प्रति रोष ही उत्पन्न होगा. कुछ ऐसा ही है कस्बे के बसस्टैंड पर है जहां ना पेयजल सुविधा है ना ही छाया की पर्याप्त व्यवस्था.
भरतपुर: ना सूरज से बचने को छज्जा, ना सूखे कंठों के लिए पानी... ऐसा है नगर बस स्टैंड
भरतपुर के नगर कस्बे में बसस्टैंड के हालात इस कदर है कि आग बरसाती गर्मी में भी ना परिसर में पेयजल व्यवस्था है और ना ही छाया का प्रबंध. ऐसे में यात्रियों को भरी गर्मी में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
कस्बे के बस स्टैंड परिसर में लू के थपेड़ों के बीच यात्रीगण बस का इंतजार करते नजर आए. आलम यह है कि परिसर में कहीं भी बैठने की उचित व्यवस्था नहीं है. यात्री सड़क किनारे सूरज से बरसती आग में खड़े रहते हैं. साथ ही नगर पालिका की ओर से पेयजल की व्यवस्था भी परिसर में पर्याप्त नहीं है. इससे भी यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
यात्रियों के मुताबिक भीषण दोपहरी में भी बस स्टैंड परिसर में यात्रियों के बैठने की कोई उचित व्यवस्था नहीं होती, जिससे यात्रियों को सूरज से दो-दो हाथ करना पड़ता है. नगर पालिका की ओर से करीब 50 लाख रुपए की लागत से आश्रय स्थल के निर्माण का कार्य चल रहा है लेकिन फिलहाल पालिका द्वारा यात्रियों के लिए कोई उचित व्यवस्था उपलब्ध नही कराई जा रही है. जिससे यात्री परेशान है.