भरतपुर.महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय (MSBU) के पीएचडी के 111 शोधार्थियों को बीते 5 साल से डिग्री का इंतजार है. विवि प्रशासन के कुप्रबंधन का ही नतीजा है कि 5 साल गुजरने के बाद भी करीब 30 से अधिक शोधार्थियों को गाइड तक अलॉट नहीं हुआ है. हालात ये हैं कि 1.50-1.50 लाख रुपए फीस जमा कराने के बावजूद शोधार्थियों की पीएचडी की डिग्री नहीं मिल पा रही है. वहीं कई रसूखदार शोधार्थी ऐसे भी हैं जिनको मार्च, अप्रैल 2023 में गाइड अलॉट हुआ और नियमों को दरकिनार कर महज दो-तीन माह में थीसिस भी सबमिट करा दी. विश्वविद्यालय प्रशासन कोरोना का बहाना बनाकर अपनी इस लापरवाही को छुपाने में जुटा है.
असल में महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय ने 14 विषयों में वर्ष 2017-18 में 63 और 2018-19 में 48 विद्यार्थियों को पीएचडी में प्रवेश दिया. वर्ष 2017- 18 के सभी विद्यार्थियों को तो गाइड अलॉट हो गए, लेकिन 2018-19 के 30 से अधिक शोधार्थियों को तो 5 साल बाद भी गाइड अलॉट नहीं हो सका है. ऐसे में बिना गाइड के थीसिस का काम शुरू नहीं हो सका है. जबकि प्रत्येक शोधार्थी अब तक 1.50-1.50 लाख रुपए फीस जमा करा चुका है.
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देनी होगी एक साल की अतिरिक्त फीसःनियमानुसार यदि समय पर कोर्स वर्क हो जाता है और गाइड अलॉट हो जाता है, तो न्यूनतम तीन साल में थीसिस जमा करा सकता है और उसे पीएचडी की डिग्री मिल जाती है. साथ ही पीएचडी में अधिकतम 6 साल का वक्त लगता है. लेकिन विश्वविद्यालय के दोनों बैच के अधिकतर शोधार्थी की ना तो अभी तक थीसिस जमा हुई है और करीब 30 को तो गाइड भी अलॉट नहीं हुआ है. ऐसे में अब शोधार्थियों को एक-एक साल की 18-18 हजार अतिरिक्त फीस जमा करानी होगी.