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भूजल स्तर में गिरावट से गांव प्यासे...334 में से 159 गांव सूखाग्रस्त घोषित - 159 droughts out of 334 villages

राजस्थान में जलसंकट की समास्या कोई नहीं है और गर्मियों यह और भी विकराल रूप ले लेती है. लगातार जलदोहन और बारिश की कमी के कारण भरतपुर में हालात बिगड़ते जा रहे हैं. राजस्थान भूजल विभाग की ओर से किए गए सर्वे में बीते 6 सालों में 100 फीट तक भूजल स्तर में गिरावट आई है. ईटीवी भारत ने विभाग की सर्वे रिपोर्ट को खंगाला तो भरतपुर में भूजल संकट के हालात नजर आए.

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भरतपुर के गांवों में जलसंकट

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Published : Apr 16, 2021, 8:27 PM IST

भरतपुर.कम होती बरसात, सूखी पड़ी नदियां और तेजी से गिरता जलस्तर जिलेवासियों के लिए भविष्य में बड़े जल संकट का संकेत दे रहा है. राजस्थान भूजल विभाग की ओर से किए गए सर्वे की रिपोर्ट में चौंकाने वाला तथ्य सामने आए हैं. जिले में हर वर्ष लगातार भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है. बीते 6 साल की बात करें तो जिले के कुछ क्षेत्रों में तो 100 फीट तक भूजल स्तर गिर गया है. इतना ही नहीं जिले भर के दर्जनों गांवों के कुंए भी सुख गए हैं.

भरतपुर के गांवों में जलसंकट

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6 साल में ऐसे गिरा जलस्तर

राजस्थान भूजल विभाग की ओर से प्रतिवर्ष मानसून से पहले और मानसून के बाद दो बार भूजल स्तर का सर्वे किया जाता है. ईटीवी भारत में विभाग के बीते 6 साल की सर्वे रिपोर्ट का जायजा लिया तो उसमें जिले में तेजी से भूजल स्तर गिरने का खुलासा हुआ. विभाग ने हर वर्ष करीब 334 गांव व अलग-अलग क्षेत्रों में सर्वे किया है.

ये हैं कुछ प्रमुख तथ्य

334 में से 159 गांव सूखाग्रस्त

विभाग की ओर से वर्ष 2018 में जिले के 334 गांव का सर्वे किया गया. सर्वे के दौरान जिले के प्रत्येक ब्लॉक में कई-कई गांव सूखाग्रस्त मिले. इन गांवों में कुंओं का पानी भी सूख गया है. जिले के मैहर ब्लॉक में तो 25 गांव सूखाग्रस्त पाए गए हैं.

ये हैं कुछ प्रमुख तथ्य

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इसलिए गिर रहा जिले का जलस्तर

भरतपुर जिले में बाणगंगा, रूपारेल और गंभीरी 3 नदियां हैं, लेकिन वर्ष 1998 के बाद से तीनों नदियां सूखी पड़ी हैं. जिले में बीते वर्षों में बरसात भी काफी कम रही है, जिसके चलते लगातार जिले में भूजल स्तर गिर रहा है. जिले में लगातार तेजी से गिर रहे भूजल स्तर के चलते लोगों को पेयजल की समस्या का सामना करना पड़ सकता है. जिले के कई सूखाग्रस्त गांव में तो आज भी लोगों को पेयजल संकट से जूझना पड़ रहा है. कई ग्रामीण क्षेत्रों में तो लोग पेयजल टैंकर मंगाकर प्यास बुझा रहे हैं.

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