बाड़मेर.कोरोना संक्रमण की रफ्तार जरूर धीमी हुई है लेकिन अभी भी इसपर काबू नहीं पाया जा सका है. इसी बीच बाड़मेर में सफाईकर्मी बिना सेफ्टी किट पहने सीवरेज की सफाई कर रहे हैं. जिससे कोरोना संक्रमण की जद में आने की आशंका बढ़ जाती है. सफाईकर्मियों को नगर परिषद की तरफ से सेफ्टी किट उपलब्ध करवाई गई हैं. लेकिन उनका कहना है कि सेफ्टी किट पहनकर काम करना और भी मुश्किल हो जाता है. ऐसे में वो जान जोखिम में डालकर नालों की सफाई कर रहे हैं.
जान जोखिम में डालकर नालों की सफाई करते कर्मचारी क्या है मजबूरी
बुधवार को बाड़मेर नगर परिषद के सफाईकर्मी महावीर टाउन हॉल के पास से गुजर रहे नाले की सफाई करने में लगे हुए थे. यहां जो कर्मचारी सफाई कर रहे थे उनको बिना सेफ्टी किट पहनाए ही सीवर और नालों में उतारा जा रहा था. इसको लेकर जब ईटीवी भारत की टीम ने वहां मौजूद सफाई जमादार से पूछा तो उन्होंने बताया कि नगर परिषद की तरफ से सेफ्टी किट दी गई है लेकिन उसको पहनकर काम करना नामुमकिन होता है.
सेफ्टी किट नहीं हैं हाई क्वालिटी की पढे़ं:Exclusive: 10वीं, 12वीं की परीक्षाएं बोर्ड कब करवाने की सोच रहा है, RBSE चेयरमैन डीपी जारोली ने बताया
जमादार ने बताया कि सेफ्टी किट पहनने के बाद जब सफाईकर्मी नाले या सीवर में जाता है तो किट में पानी भर जाता है और वो बहुत भारी हो जाती है. ऐसे में काम करना मुश्किल होता है. इसलिए सफाई कर्मचारी बिना सेफ्टी किट पहने ही गंदे नालों और सीवर में सफाई करने उतर जाते हैं.
2014 में ही मैन हॉल और सीवर की सफाई के लिए सफाईकर्मियों को उतारने पर बैन लग चुका है. लेकिन उसके बाद भी ये काम लगातार जारी है. नालों में कई ज्वलनशील गैसें होती हैं, जिनसे इंसान की जान तक जा सकती है. हर साल भारत में हजारों कर्मचारियों की मौत मैनहॉल की सफाई करते हुए हो जाती है. उसके बाद भी सरकार और प्रशासन कोई ठोस कदम उठाता नजर नहीं आ रहे हैं.
प्रशासन ने कई जगह सफाई कर्मचारियों को सेफ्टी किट उपलब्ध करवाई हैं लेकिन वो इतनी घटिया क्वालिटी की हैं कि उनमें पानी भर जाता है और उनको पहनकर काम करना मुश्किल होता है. ऐसे में प्रशासन को चाहिए कि वो अच्छी क्वालिटी की सेफ्टी किट सफाईकर्मियों को उपलब्ध करवाए.