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स्पेशल स्टोरी: बाड़मेर में पानी की पहरेदारी, ताला लगाकर रखते हैं पानी

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Published : Dec 18, 2019, 2:54 PM IST

पानी के लिहाज से हरदम मोहताज रहने वाले सरहदी इलाके के लोगों को आजादी के बाद से अबतक पानी की कमी बनी रहती है. इस इलाके के लोगों को पानी की एक-एक बूंद सहेजकर रखनी पड़ती है. पानी की चौकसी तक करनी पड़ती है. देखिए चौहटन से स्पेशल रिपोर्ट.. ताले में रखते हैं पानी

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बाड़मेर जिले के गांवों में ताले में पानी

चौहटन (बाड़मेर).राजस्थान में पानी की क्या अहमियत है. उसकी तस्दीक बाड़मेर से सामने आई तस्वीरें कर रहीं हैं. भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर सरहदी इलाके में रहने वाले लोगों से बेहतर शायद ही कोई नहीं जानता होगा. लोगों को पानी की एक-एक बूंद सहेजकर रखनी पड़ती है. यहां तक की पानी की चौकसी के लिए लोग ताला तक लगा देते हैं. जिससे उनका पानी कोई चोरी ना कर ले. सरहदी गांवों में सर्दी हो या गर्मी पानी का पहरा लगा रहता है.

बाड़मेर जिले के गांवों में ताले में पानी

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इन इलाकों में पानी पर रहता है पहरा
चौहटन उपखंड के सरहदी रमजान की गफन, आरबी की गफन, भोजारिया, केलनोर, शोभाला, नवापुरा, रानातली, बीजराड़, उदसियार सहित सरहद से सटे दर्जनों गांवों के लोग बरसाती पानी को टांकों में सहेजकर रखते हैं.

कोई चोरी ना कर ले पानी इसलिए लगाया ताला

इन टांकों और टांकलियों में संग्रहित पानी की हिफाजत के लिए ताले लगाकर पानी की पहरेदारी की जाती है.

सर्दी हो या गर्मी पानी पर रहता है पहरा

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यहां भूगर्भ का पानी खारा
बता दें, कि इन गांवों में भूगर्भ का पानी खारा होता है. दूरदराज तक रेतीले धोरों के बीच पसरे गांवों में जलदाय विभाग की कोई स्कीम सक्सेज नहीं हो पाई है. बरसात के दौरान ग्रामीणों द्वारा बरसाती पानी संग्रहित कर अपने हलक तर करने पड़ते हैं.

पानी की एक-एक बूंद सहेजकर रखनी पड़ती

वहीं गर्मी के दिनों में महंगी दरों पर टैंकरों का पानी खरीद कर अपनी प्यास बुझानी पड़ती है. इस क्षेत्र के लोगों को घी, तेल जैसे महंगे तरल पदार्थों की तरह कीमती पानी पर भी पहरेदारी करने की मजबूरी आज भी बनी हुई है. टांकों और टांकलियों पर ताले जड़कर रखना यहां की परंपरा सी बन गई है.

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