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बाड़मेर: स्कूल के गेट पर ताला लगाकर बच्चों के साथ अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे ग्रामीण - गुणवत्ता पूर्ण खाना नहीं मिलता

बाड़मेर जिला मुख्यालय के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय पाताणियों की ढाणी में बच्चों के साथ मिलकर ग्रामीणों ने स्कूल के गेट पर ताला लगा दिया. स्कूल के बाहर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे है. ग्रामीणों का आरोप है कि शिक्षक समय से स्कूल नहीं आते है. बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण खाना नहीं मिलता और ना ही बच्चों को शिक्षक पढ़ाते हैं.

Villagers sitting on dharna with children, बच्चों के साथ धरने पर बैठे ग्रामीण

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Published : Sep 26, 2019, 5:46 PM IST

बाड़मेर. जिला मुख्यालय से महज चंद किलोमीटर दूर राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय पाताणियों की ढाणी में ग्रामीणों ने बच्चों के साथ मिलकर स्कूल के गेट पर ताला जड़ दिया. ग्रामीणों का आरोप है कि जो शिक्षक स्कूल में लगे हुए हैं वह महज खानापूर्ति के लिए स्कूल आते हैं ना तो पढ़ाई करवाते हैं ना ही समय पर आते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि मामले को लेकर कई बार शिक्षा विभाग से लेकर प्रशासन को बताने की कोशिश की लेकिन किसे ने नहीं सुना.

बच्चों के साथ अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे ग्रामीण.

ग्रामीणों का कहना है राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय पाताणियों की ढाणी में पिछले एक साल से 126 बच्चों का भविष्य अंधेरे में है. 4 टीचर लगे हुए हैं कोई समय पर नहीं आता है तो कोई घंटा भर के लिए आकर चला जाता है. इनको कई बार समझाया लेकिन कोई समझने को तैयार नहीं है बच्चे बताते हैं कि ना तो स्कूल में पढ़ाई होती है ना ही सही का खाना मिलता है. अगर खाना मिलता भी है तो सरकारी नियमों के हिसाब से पूरा नहीं मिलता है. इस बात को लेकर हमने शिक्षकों को बताया लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है जिसके चलते ग्रामीणों ने स्कूल के गेट पर पर ताला जड़ दिया और स्कूल के आगे धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया है.

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स्कूल गेट के आगे हो रहे धरना प्रदर्शन की सूचना मिलने पर शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारी मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों के बयान लिए और अपनी रिपोर्ट उच्च अधिकारियों तक पहुंचाने की बात कही है. वहीं सूचना मिलने पर सदर थाना पुलिस भी मौके पर पहुंची.

बतादें, ग्रामीण इलाकों में बच्चे आठवीं तक पढ़ लेते हैं लेकिन उन्हें अंग्रेजी के शब्द के बारे में जानकारी तक नहीं होती, जब वह बच्चा दूसरी स्कूल में दाखिल लेता है तो उसे दूसरी कक्षा में दाखिल कर लेते हैं तो उन बच्चों से कहा जाता है आपका लेवल सेकंड ईयर थर्ड ईयर क्लास का है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर सरकार शिक्षकों को वेतन के नाम पर हजारों रुपए देती है, बावजूद इसके यह शिक्षक महज खानापूर्ति के अलावा कुछ नहीं करते और इनका खामियाजा नन्हे-मुन्ने बच्चों को भुगतना पड़ता है अब देखने वाली बात होगी कि सरकार इस मामले में क्या कार्रवाई करती है.

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