राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

रेगिस्तान में बेटियों के प्रति बदलती सोच की एक उजली तस्वीर आप भी देखिए - बाड़मेर

बाड़मेर के मगाराम माली ने एक बेटी को गोद लिया है. मगाराम के पहले से एक बेटा भी है, बावजूद इसके बेटी को गोद ही नहीं लिया बल्कि बेटी के आगमन पर हवन, जागरण जैसे कार्यक्रमों को बड़े उत्साह के साथ आयोजित कर समाज को एक सकारात्मक संदेश भी  दिया.

रेगिस्तान की मिट्टी से देश के नाम पैगाम

By

Published : Jul 17, 2019, 7:18 PM IST

बाड़मेर. समाज में बदलाव की उम्मीद अब रेगिस्तान से नजर आ रही है. जहां एक दंपत्ति ने एक बेटा होने के बावजूद बेटी को गोद लिया. कहने को तो यह मामूली बात है, लेकिन बेटी गोद लेने के बाद जो खुशी, उमंग और उत्साह दंपत्ति के चेहरे पर नजर आ रहा है वो समाज के लिए एक बेहतर पैगाम है. उन लोगों के मुंह पर तमाचा भी जो बेटी को लक्ष्मी ना मानकर बोझ मान बैठे है.

बाड़मेर के रहने वाले मगाराम का कहना है कि उन्हें शुरू से ही बेटी की चाहत थी. रितिका को गोद लिए जाने के पीछे यह भी एक वजह रही. रितिका मगाराम के बड़े भाई की लड़की है. छह माह की रितिका भी अपने नए माता-पिता की गोद में आकर खुश नजर आ रही है. और माता-पिता की खुशी का तो ठिकाना ही नहीं है.

रेगिस्तान की मिट्टी से देश के नाम पैगाम

रितिका के नए माता-पिता ने अपने घर में आई लक्ष्मी का ढोल-नंगाड़ों से स्वागत किया. इतना ही नहीं धार्मिक अनुष्ठान भी रखा गया. रितिका के स्वागत में हवन और जागरण का कार्यक्रम आयोजित किया गया. जहां देवताओं के साथ-साथ सभी परिजनों द्वारा भी छह माह की मासूम को खुशहाल जिंदगी का आशीर्वाद मिला.

मगाराम माली ने बताया कि उसे पहले एक बेटा है, कोई बेटी नहीं है. जबकि उसके बड़े भाई को पांच बेटियां हैं. परिवार में आपसी रजामंदी से उनके परिवार ने यह फैसला लिया कि छोटी बेटी रितिका जो छह महीने की है, उसे गोद लेकर उसका पालन पोषण करने के साथ अच्छी शिक्षा देने का कार्य उनके द्वारा किया जाएगा.

वहीं जब रितिका को गोद लेने वाली माता से पूछा गया कि इस समय में जब सभी बेटों को गोद लेने की ख्वाहिश रखते है तब आपने एक बेटी को गोद क्यों लिया. इसके जवाब में रितिका की मां का कहना है कि उनके लिए रितिका अपने बेटे की तरह ही है, और वे उसकी परवरिश भी वैसे ही करेंगे जैसे अपने बेटे की करते है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details