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उल्लास के साथ मनाया गया शीतला सप्तमी का पर्व, ठंडे भोजन का लगाया भोग - sheetla saptami celebrated in barmer

शीतला सप्तमी का त्योहार बाड़मेर में बड़ी ही उत्साह के साथ मनाया जा रहा है. शीतला सप्तमी पर्व की तैयारियां अधिकांश घरों में शनिवार को ही पूरी कर दी गई और महिलाओं ने रसोई में कई तरह के व्यंजन बनाए. रसोई में तैयार विभिन्न व्यंजनों का भोग शीतला माता को लगाया.

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बाड़मेर में शीतला सप्तमी का त्यौहार

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Published : Apr 3, 2021, 8:04 PM IST

बाड़मेर.शीतला सप्तमी का त्यौहार शनिवार को बाड़मेर में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. संक्रामक रोगों से मुक्ति दिलाने वाली और चेचक रोग से बचाने वाली शीतला माता को शनिवार को ठंडे भोजन का भोग लगाया गया. गृहणीयो ने 1 दिन पहले शुक्रवार को ही शीतला सप्तमी पर्व की तैयारी करते हुए घरों में अलग-अलग व्यंजन बनाकर तैयार कर दिए और आज शनिवार को शीतला माता को ठंडे भोजन का भोग लगाकर पूजा अर्चना की.

बाड़मेर में शीतला सप्तमी का त्यौहार

शनिवार को बाड़मेर के सब्जी मंडी स्थित शिव मंदिर और हिंगलाज मंदिर में शीतला माता को ठंडे भोजन का भोग लगाकर पूजा अर्चना की वही मंदिरों में श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या में भीड़ नजर आई. मंदिर में दिनभर भक्तों की लाइन लगी रही. इसके साथ ही महिलाओं ने अपने अपने घरों में शीतला माता को ठंडे भोजन का भोग लगाकर प्रसन्न कर खुशहाली की कामना की. शीतला सप्तमी व्रत चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि पर किया जाता है. शीतला माता का पूजन कर, उन्हें बासी और ठंडे व्यंजनों का भोग लगाने के बाद घर के सभी सदस्य सिर्फ ठंडे व्यंजन ही खाते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से शीतला माता देवी धन-धान्य से पूर्ण कर प्राकृतिक आपदाओं को दूर रखती है. इसके साथ ही पूजा करने एवं नियम और संयम से व्रत रखने पर चेचक, खसरा आदि रोगों का प्रकोप नहीं फैलता.

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महिलाओं के अनुसार होली के 7 दिन बाद शीतला सप्तमी का पर्व मनाया जाता है इस पर्व को लेकर एक दिन पहले ही अपने घरों में महिलाएं खाना बनाकर रख देती है. जिसमें चावल, दही ,छाछ,रायता, करबा, पुरी सहित कई तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं और सप्तमी के दिन माता शीतला को ठंडे भोजन का भोग लगाया जाता है और साथ ही महिलाएं माता की कथा का श्रावण भी करती है. उन्होंने बताया कि मान्यता है कि शीतला सप्तमी के दिन ठंडी का भोग लगाने से बच्चों को होने वाली चेचक की बीमारी नहीं होती और साथ ही बच्चों की आंखों की रोशनी भी तेज होती है इसलिए इस पर्व को बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है.

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