बाड़मेर.एक जमाने में किसी गांव के नक्शे के लिए कागजी रेखांकन और तेल चित्रों पर रहने वाली निर्भरता में वक्त के साथ बदलाव आया और उसकी जगह सेटेलाइट फोटो ने ली, लेकिन इन दिनों सरहदी बाड़मेर में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग जिले भर के गांवों के सेटेलाइट डीजीपीएस तकनीक से गांवों के नक्शो का निर्माण करवा रहा है. बारीकी और सटीक जानकारी के लिए विश्व भर में विख्यात इस तकनीक के विशेषज्ञ इन दिनों सरहदी बाड़मेर के गांवों में नक्शों का निर्माण कर रहे हैं. इन्हीं नक्शों के आधार पर हर गांव की जल जीवन मिशन की जल परियोजनाओं का निर्माण किया जा रहा है.
जल जीवन मिशन के आईईसी कॉर्डिनेटर अशोक सिंह ने बताया कि साल 2024 के आखिरी महीने तक बाड़मेर के हर घर को नल से जोड़ने के लिए कार्य युद्धस्तर पर जारी है. हर गांव का अलग से स्किम निर्माण किया जा रहा है. इसके लिए अत्याधुनिक डिफरेंशियल ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम को आधार बनाया गया है. यह अपने एंटेकेंट ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम की तुलना में अधिक सटीक तकनीक है. जिले के अलग-अलग डिवीजन और उनके सब डिवीजन में आने वाले गांवों में अलग-अलग टीमें इस कार्य को करने में जुटी है. जिले के गांव में यह टीमें एक स्थिर रिसीवर को लगाने के बाद गांवों की हर गली, हर घर, हर आबादी के नक्शों का निर्माण करके जान स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अधिकारियों को दे रही है. इस आधुनिक तकनीक के चलते हर घर नल से जुड़ने का सपना साकार होता नजर आ रहा है.
बाड़मेर जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अधिशासी अभियंता सोनाराम बेनीवाल के अनुसार डिफरेंशियल ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम जीपीएस का भी अत्याधुनिक रूप है. इस तकनीक से धरातल की तकनीक 10 सेमी तक सटीकता प्राप्त कर सकती है. यह सेटेलाइट से सिग्नल की गिरावट को समाप्त करता है, जिसके परिणामस्वरूप सटीकता में सुधार होता है. हर मौसम में कार्य करने वाली इस पद्धति के महवत्पूर्ण प्रोजेक्ट जल जीवन मिशन का आधार बनने से मिशन से हर घर-हर परिवार को मदद मिलेगी.