बाड़मेर/बालोतरा.बकरा ईद का त्यौहार कुर्बानी का त्यौहार है. इसे ईद-उल-अज़हा या ईद-उल-जुहा नाम से भी जाना जाता हैं. इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से यह त्योहार हर साल जिलहिज्ज के महीने में आता है. बकरीद का त्योहार पैगंबर हजरत इब्राहिम द्वारा दी गई कुर्बानी के बाद शुरू हुआ. सपने में मिले अल्लाह के आदेश पर इब्राहिम को अपनी सबसे प्रिय चीज कुर्बान करनी थी.
इस पर उन्होंने अपने सभी प्रिय जानवर कुर्बान कर दिए. लेकिन जब यही सपना उन्हें दोबारा आया तो उन्होंने अपने बेटे को कुर्बान करने का प्रण ले लिया. जब उन्होंने आंखों पर पट्टी बांधकर अपने बेटे की कुर्बानी दी और बाद में आखें खोली तो पाया कि उनका बेटा तो जीवित है और खेल रहा है. उसकी जगह वहां एक बकरे की कुर्बानी हो स्वत: हो गई थी. बस तभी से बकरे की कुर्बानी की प्रथा चली आ रही है.
इस दौरान राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने कहा कि यह त्योहार उल्लास के साथ मनाये. वैश्विक भाईचारे, प्रेम करुणा का संदेश मजबूत हो. नगर परिषद सभापति रतन खत्री ने मुस्लिमों को ईद की बधाई देते हुए कहा कि यह त्यौहार शांति एवं एकता लाता है तथा सद्भाव समृद्धि को बढ़ाता है. विधायक मदन प्रजापत ने मुस्लिम भाईयों को ईद की मुबारकबाद दी ईद त्यौहार को सर्वधर्म समभाव की मिसाल बताया.
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