महिला आयोग अध्यक्ष ने बाबा रामदेव के बयान पर दी प्रतिक्रिया बाड़मेर. योग गुरु बाबा रामदेव का धर्म विशेष को लेकर टिप्पणी का मामला लगातार तूल पकड़ता जा रहा है. इस मामले को लेकर राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रिहाना रिहाज चिश्ती ने कहा कि समाज को आईना दिखाने वाले साधु संत हुआ करते थे. बिना नाम लिए रामदेव पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि पायजामा और स्कर्ट पहनकर स्टेज से कूदकर भागने वाले संतो को देखा है दिल्ली में.
उन्होंने कहा कि बाबा रामदेव के उस बयान का वीडियो देखा है. बाबा रामदेव ने जो कहा वह उनकी दैवीय सोच हो सकती है. जहां आदमी के पहनावे पर कोई दिक्कत नहीं है. आदमी साड़ी, सूट, स्कर्ट पहन सकते हैं. खाने-पीने पर भी कुछ भी कर सकता है, लेकिन भगवान और खुदा के नाम पर ऐसा क्यों करते है. उन्होंने कहा कि भगवान, गॉड, जीसस, अल्लाह ईश्वर के अलग-अलग नाम हैं, लेकिन हैं तो एक ही. लेकिन एक जाति बिरादरी के खिलाफ इस तरह से बात करना ठीक नहीं है.
पढ़ें:राजस्थान : महिला प्रताड़ना के झूठे मामले दर्ज कराने पर होगी IPC के तहत कार्रवाई, RSCW ने दिए निर्देश
मंच से महिला के कपड़े पहनकर भागे थे:उन्होंने कहा कि समाज को आईना दिखाने वाले साधु संत हुआ करते थे. बिना नाम लिए योग गुरु बाबा रामदेव पर कटाक्ष करते हुए कहा कि पायजामा और स्कर्ट पहनकर स्टेज से कूदकर भागने वाले संतो को देखा है दिल्ली में. सलवार पहनकर कूदकर भागे थे बाबा. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि उस समय उन्हें पहनावे पर किसी तरह की दिक्कत नहीं थी और आज वो इस तरह से समाज को विखंडित करने की जो बात करते हैं. ये ठीक नहीं है, क्योंकि सब भाईचारे के साथ रहते हैं. उन्होंने कहा कि किसी भी धर्म पर टिप्पणी करने से पहले उसे अच्छे से पढ़ें. जानें कि उसमें क्या लिखा हुआ है.
पढ़ें:Baba Ramdev Controversial Statement: बाड़मेर आए बाबा रामदेव का विवादित बयान, धर्म विशेष को लेकर की ये टिप्पणी
उन्होंने कहा कि ऐसा बाबा रामदेव के निजी धर्म में कहते होंगे. जबकि सनातन धर्म, ईसाई धर्म में ऐसा नहीं है. मैंने खुद कुरान पढ़ा है, लेकिन किसी में भी जिहादी या किसी को भगा ले जाने और ना ही भेदभाव के बारे में कहीं भी कुछ नहीं लिखा है. ऐसे में किसी के बारे में बोलने से पहले गहराई से जानकारी लेवें, फिर बोलें. इस मामले में कांग्रेस के नेताओं और सरकार की चुप्पी के सवाल जवाब में कहा कि यह कोई टिप्पणी करने के लायक बात नहीं है. उन्होंने कहा कि यह कोई मुद्दा नहीं है, ना ही धर्म कोई मुद्दा है. रोजगार, सांप्रदायिक सद्भावना, शिक्षा और देश में बढ़ती महंगाई मुद्दा है. बता दें कि रिहाना रिहाज सोमवार को बाड़मेर के प्रवास पर रहीं. इस दौरान जिला मुख्यालय पर जनसुनवाई कर आमजन की परिवेदनाएं सुनीं.