बाड़मेर. इस साल दीपावली मिट्टी के दीयों से और अधिक रौशन होगी. बाड़मेर वासियों ने इस बार स्वदेशी अपनानी की ठानी है. इस कारण बाड़मेर में दीपावली को लेकर मिट्टी के दीयों की मांग बढ़ गई है. ऐसे में कुम्हारों के घर इस बार लक्ष्मी आने से खुशियां बरसेंगी.
भारत और चीन विवाद के कारण देश में चाइना के खिलाफ जबरदस्त गुस्सा है. यही वजह है कि देश में चीनी वस्तुओं का बहिष्कार करने का पूरजोर समर्थन किया जा रहा है. लोग स्वदेशी सामानों की ओर रुख कर रहे हैं. हर साल दीपावली पर चाइनीज लाइटें बाजार में कब्जा जमा लेती थी. इस कारण मिट्टी के दीए चाइनीज लाइटों के सामने टिक नहीं पाती थी और कुंभकारों की दीपावली पर कमाई भी चाइनीज सामान खा जाती थी लेकिन इस बार कुम्हार काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं.
बाजार भी मांग से बदला
ईटीवी भारत ने बाड़मेर कुम्हारों से बातचीत की. कुम्हारों ने बातचीत के दौरान बताया कि इस बार प्रधानमंत्री द्वारा स्वेदशी वस्तुओं की खरीद पर जोर देने पर बाजार बदला-बदला नजर आ रहा है. मार्केट में दुकानदार मिट्टी के दीयों की अधिक मांग कर रहे हैं. इसलिए इस बार कुम्हारों को कमाई की एक उम्मीद जगी है और वे पूरे परिवार के साथ दीयों के निर्माण में जुटे हैं.
दीयों के सामने चाइनीज लाइटें लुप्त
कुम्हारों का कहना है कि इस बार हमारे परिवार के लिए खुशियों की दीपावली आई है. पिछले कुछ सालों से दीपावली के पर्व पर चाइनीज रंग-बिरंगी लाइट्स ने दिये की रोशनी को कम कर दिया था लेकिन इस बार दीयों की रोशनी के आगे चाइनीज लाइटें लुप्त सी हो गई है. पिछले 50 सालों से दीये निर्माण करने वाले बुजुर्ग लालाराम कहते हैं कि इस बार दिवाली को लेकर दीपों की बिक्री पहले से कुछ अच्छी है. इस बार जितने दीये बन रहे हैं, सब बिक रहे हैं.