बाड़मेर.राजस्थान की बॉर्डर की लगती पाकिस्तान की 1 हजार 70 किलोमीटर की सीमा इन दिनों टिड्डियों के चलते रोज सुर्खियों में बनी हुई है. कभी टिड्डी राजस्थान के गंगानगर से घुस जाती हैं तो कभी बाड़मेर तो कभी जैसलमेर. यह दौर पिछले करीब 1 साल से लगातार चल रहा है. लाखों और करोड़ों की तादाद में टिड्डियां एक के बाद एक दल बाड़मेर के बॉर्डर के रास्ते देश के अलग-अलग हिस्सों में पहुंचती हैं. सरकार के पास इससे निपटने के लिए जो साधन हैं, वो नाकाफी हैं.
पिछले 26 सालों के इतिहास में यह पहला मौका है कि जब इस तरीके से टिड्डी अपना कहर पूरे देश में बरपा रही है. पाकिस्तान टिड्डियों को रोकने में पूरी तरह से नाकाम हो गया है. पाकिस्तान इसे रोकने के लिए कोई खास इंतजाम नहीं कर रहा है, जिसके चलते पिछले साल भर से टिड्डी लगातार भारत में आ रही है. आमतौर पर यह देखा जाता है कि किसान इसे रोकने के लिए देसी जुगाड़ करता नजर आता है. कोई ताली बजाता है तो कोई टायर जलाता है तो कोई पटाखे फोड़ता है. साथ ही कोई घर के बर्तन बजाता नजर आता है, लेकिन इनकी तादाद इतनी होती है कि यह सब इंतजाम भी फेल हो जाते हैं. इसी कारण टिड्डी दल इस समय देश में फैल रहा है.
सरकार के इंतजाम नाकाफी...
सबसे बड़ी समस्या यह है कि जो जिला प्रशासन और कृषि विभाग के पास साधन हैं, वह नाकाफी हैं. बाड़मेर जिला मुख्यालय पर कृषि विभाग के साथ ही सेंट्रल गवर्नमेंट से टिड्डी विभाग के पास कीटनाशक पदार्थों के साथ ही महज 2 दर्जन से कम वाइकल से जो कि मारने के लिए लगातार काम आ रहे हैं. जिले में चल रही टिड्डी दल के हमले पर जिला प्रशासन ने रोकथाम के लिए मंगलवार को सिणधरी, शिव, पचपदरा और रामसर तहसील क्षेत्र में 512 हेक्टर क्षेत्र में टिड्डी नियंत्रण का कार्य किया गया.
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जिले में अब तक कुल 9 हजार 872 हेक्टेयर में छिड़काव का कार्य किया जा चुका है. जिला कलेक्टर विश्राम मीणा ने बताया कि जिले में टिड्डी नियंत्रण के लिए सूचना तंत्र को मजबूत करने पर जोर दिया जा रहा है, ताकि हमले की सूचना मिलते ही तुरंत सर्वे कार्य संपादित कर रोकथाम सुनिश्चित किया जा सके. कलेक्टर ने बताया कि कृषि उप निदेशक एवं टिड्डी नियंत्रण अधिकारी को परस्पर समन्वय स्थापित कर प्रभावी कार्रवाई करते हुए आमजन को टिड्डी से राहत दिलाने के हेतु निर्देश दिए गए हैं.
प्रशासन जुटा सूचना तंत्र मजबूत करने में...