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लौह-पाश में भीम : 20 साल से जंजीरों में कैद है भीम सिंह...सरकार से इलाज में मदद के लिए गुहार

बाड़मेर के सिवाना के भीम सिंह की जिंदगी जंजीरों की लंबाई के दायरों में सिमट गई है. दिमागी हालत ठीक नहीं थी. परिवार के पास इलाज का पैसा नहीं था. लिहाजा उसे एक बार घरवालों ने जंजीरों में जकड़ा तो 20 साल बीत गए, भीम इस पाश से मुक्त नहीं हो पाया.

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20 साल से जंजीरों में कैद है भीम

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Published : Jul 5, 2021, 10:10 PM IST

Updated : Jul 5, 2021, 11:06 PM IST

सिवाना (बाड़मेर).जिले के पादरू कस्बे के गांव पचवाड़िया बेरा में भीम सिंह राजपुरोहित को सभी जानते हैं. उसकी पहचान सिर्फ इतनी सी है कि वो 20 साल से नीम के पेड़ के नीचे जंजीर में कैद है. भीम का मानसिक स्वास्थ्य ठीक नहीं था. कभी वो परिवार के लोगों के साथ मारपीट करता तो कभी दूसरों के साथ. परिवार ने इलाज भी कराया मगर फायदा नहीं हुआ. आखिरकार थक हार पर परिवार ने भीम को पेड़ से बांध दिया.

भीम सिंह के परिवार की माली हालत खराब है. उसकी पत्नी शायर देवी ने इलाज के लिए सरकार से मदद की गुहार लगाई है. भीम सिंह जब दिमागी तौर पर बीमार हुआ तो वह घर आए लोगों पर हमला कर दिया करता था. जब से वह जंजीर में बंधा है, तब से नीम का पेड़ ही उसकी दुनिया है. जंजीरों में बंधे पति की सेवा उसकी पत्नी अब भी कर रही है. उसने पेड़ के करीब ही एक टूटा सा पलंग लगा दिया. पति को बारिश, धूप और सर्दी से बचाने के लिए वह खटिया के ऊपर तिरपाल लगा देती है.

20 साल जंजीरों में जकड़ा है भीम

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मौसम बदल जाते हैं लेकिन भीम की जिंदगी नहीं बदलती. वो उसी खटिया पर पड़ा रहता है और जहां तक जंजीर का दायरा है वहां तक घूम-फिर लेता है. शायर देवी निराश होकर कहती हैं कि अब तो उसने भीम को भगवान के भरोसे छोड़ दिया है. 20 साल में एक दिन के लिए भी भीम को जंजीर से आजाद नहीं किया गया. शायर देवी को डर कि खुलते ही वह हमला न कर बैठे.

20 साल से पत्नी कर रही भीम की सेवा

20 साल पहले तक भीम सिंह बिल्कुल स्वस्थ था. उसने 10वीं तक पढ़ाई की थी. शादी के बाद वह अच्छी जिंदगी जीना चाहता था. लेकिन मानसिक स्थिति खराब होती चली गई. भीम और शायर की कोई संतान नहीं है. दिमागी हालत खराब होने के बाद इस परिवार पर दुखों पर पहाड़ टूट पड़ा.

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सरकार से मदद की दरकार

भीम की पत्नी शायर ने ही पति को अब तक जिंदा रखा है. वह मेहनत मजदूरी करती है और पति की सेवा करती है. आर्थिक संकट से गुजर रहे इस परिवार के पास जीवन यापन करने तक का कोई पुख्ता प्रबंध नहीं है. न ही भीम सिंह के इलाज के पैसे हैं. परिवार का आधार कार्ड भी नहीं बन पाया है. जिसकी वजह से इन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है. पहले राशन तो मिल जाता था, लेकिन अब आधार के बिना राशन भी नहीं मिल पाता है. पत्नी शायर के नाम पर ही इस परिवार को सरकारी राशन का 5 किलो गेहूं मिलता है.

बाड़मेर के सिवाना का गांव पादरू

इस परिवार की स्थिति दयनीय है. पक्का घर नहीं है, न बिजली कनेक्शन है और न पानी का नल. भीम सिंह की पत्नी शायर को भामाशाह योजना या सरकारी मदद मिले तो शायद इनकी तकलीफों को कुछ राहत मिल जाए.

Last Updated : Jul 5, 2021, 11:06 PM IST

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