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स्पेशल स्टोरी: 18 साल से बेड़ियों में है ये मानसिक रोगी, लाचार परिजन नहीं करा सके इलाज

बाड़मेर के शिव उपखंड में 44 साल के एक मानसिक रोगी को 18 साल से बेड़ियों में बांधकर रखा गया है. मानसिक रोगी का छोटा भाई भी क्षय रोग से ग्रस्त है. साथ ही उसकी बुजर्ग मां भी शारीरिक रूप से लाचार है. अब इसके साथी और पड़ोसी चाहते हैं कि प्रशासन और समाजसेवी संस्थाएं इसकी मदद करें.

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Published : Sep 9, 2019, 2:27 PM IST

medical treatment for mental patient, बेड़ियों में मानसिक रोगी

शिव (बाड़मेर).शिव उपखंड के राजस्व ग्राम गोरसिया का तला काश्मीर में 44 साल के एक मानसिक रोगी को 18 साल से बेड़ियों में बांकर रखा गया है. मानसिक रोगी का नाम गिरधारी राम है. बताया जाता है 26 साल की उम्र में जब गिरधारी ने लोगों को अपशब्द कहना और उन पर पत्थर फेंकना शुरू कर दिया परिजनों ने बबूल के पेड़ के नीचे बांध दिया.

18 साल से बेड़ियों में बंधे इस मानसिक रोगी को इलाज की है जरूरत

गिरधारी के सहपाठी रहे धुड़ाराम बताते हैं कि गिरधारी ने 15 साल की उम्र में 8वीं कक्षा पास कर ली थी. इसके पिता नशे के आदी थे. परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने की वजह से वो आगे नहीं पढ़ सका. रोजगार की तलाश में भटकते-भटकते गिरधारी राम ने मानसिक संतुलन खो दिया. आर्थिक कमजोरी की वजह से गिरधारी का किसी भी तरह का इलाज नहीं के सका.

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26 साल की उम्र में गिरधारी राम ने लोगों को अपशब्द कहना और उन पर पत्थर फेंकना शुरू कर दिया. इसके बाद इसके पिता, मां और भाई ने इसे बबूल के पेड़ के नीचे बांध दिया. मानसिक रोगी होने के कारण गिरधारी राम की शादी नहीं हो सकी. वहीं, गिरधारी राम के मानसिक रोगी होने के 6 साल बाद इसके पिता मेगा राम का देहांत हो गया. इसका छोटा भाई आशु राम भी क्षय रोग से ग्रस्त है. आशु राम के दो छोटे बच्चे है. लड़की की उम्र 3 साल और लड़के की उम्र है 18 माह है. आशुराम के पास ना तो किसी तरह का रोजगार है. और ना ही उसे किसी तरह की पेंशन मिलती है.

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गिरधारी राम की बुजर्ग मां भी शारीरिक रूप से लाचार है. साथ ही इनके घर में शौचालय तक की सुविधा नहीं है. गर्मी, सर्दी और बारिश में गिरधारी को बबूल के पेड़ के नीचे ही कष्ट भरा जीवन जीना पड़ रहा है. वहीं, अब इसके साथी और पड़ोसी चाहते हैं कि प्रशासन और समाजसेवी संस्थाएं आगे आकर इसकी मदद करें.

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