बाड़मेर. पाकिस्तान से आई टिड्डियों की आफत अब बाड़मेर शहर में आतंक मचा रही है. पिछले 2 दिनों से टिड्डियों बाड़मेर शहर के क्षेत्र में हमला बोल रही है. आमजन को भयभीत करने वाली टिड्डियों को भगाने के लिए लोग कई तरह के जतन कर रहे हैं, तो वहीं प्रशासन टिड्डी नियंत्रण विभाग अपने खोखले दावों के साथ बेसहाय होता नजर आ रहा है.
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले भी बाड़मेर शहर समेत बाड़मेर ग्रामीण, बाड़मेर आगोर और शिवकर गांव में टिड्डी दल देखे गए थे. यहां आधे घण्टे के पड़ाव में भी टिड्डियों ने काफी वनस्पति और खेतों को नुकसान पहुंचाया था.
बाड़मेर: टिड्डी का बाड़मेर शहर में हमला, पेड़-पौधों को किया चट मंगलवार को एक बार फिर भारी संख्या में पहुंचे टिड्डी दल ने बाड़मेर शहर पर हमला बोल दिया और शहर में लोगों के घर लगे गार्डन, छायादार पेड़-पौधों को भारी नुकसान पहुंचाया. शहर के विभिन्न इलाकों में टिड्डी दल के झुंड देखे गए और लोग थाली बजाकर, पटाखे फोड़कर और धुआं कर टिड्डी दल को भगाने का जतन करते नजर आए, लेकिन टिड्डी पर किसी प्रकार का नियंत्रण नहीं किया जा सका और भारी मात्रा में पहुंची टिड्डी ने शहर की वनस्पति समेत छायादार नीम, पीपल बड़े पेड़ों समेत लोगों के घरों बाहर लगे पौधों को नुकसान पहुंचाया. शहर भर के कई इलाकों में टिड्डी के झुंड बादलों की तरह मंडराते नजर आए.
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बाड़मेर जिला कलेक्टर विश्राम मीणा ने बताया कि टिड्डी दल को नियंत्रण करने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे है. हमनें दो हजार हेक्टेयर में टिड्डी को नियंत्रण में कर लिया है और करीबन 9 वाहनों को लगाया गया और हर दिन शाम को हम टिड्डी नियंत्रण को लेकर प्लानिंग बनाते है और जहां टिड्डी बैठती है हम अलसुबह ऑपरेशन को अंजाम देते है.
उन्होंने कहा कि टिड्डी को लेकर हम लगातार प्रयासरत्न हैं हम उम्मीद करते हैं कि जल्द ही टिड्डी को नियंत्रित करेंगे. लोगों ने बताया कि पिछले दो दिनों से टिड्डी दल बड़ी संख्या में आया है. जिससे यहां पर पेड़ पौधों को काफी नुकसान पहुंचा है. उन्होंने बताया कि जैसा कि हमनें सुना था उसी तरह हमनें टिड्डियों को भगाने के लिए थाली, धुंआ और पटाखे जलाए लेकिन फिर भी कोई असर नहीं हुआ. टिड्डियों ने आतंक मचा रखा है. हालांकि टिड्डी नियंत्रण के लिए जिला मुख्यालय पर टिड्डी विभाग कार्यालय भी मौजूद है, लेकिन टिड्डी विभाग समेत स्थानीय प्रशासन टिड्डी दल के हमले को लेकर गंभीर नहीं है. जिसका खामियाजा किसानों के साथ बाड़मेर शहर के लोगों को भी चुकाना पड़ रहा है.