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बाड़मेर में जन्माष्टमी के अवसर पर तालाब में विसर्जित किए गए माटी के कान्हा

बाड़मेर में कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर महामारी के मद्देनजर मंदिरों में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध है. वहीं, महिलाओं ने परंपराओं का निर्वहन करते हुए माटी के कान्हा को ढोल-नगाड़ों के साथ मंगल गीत गाते हुए जसदेर तालाब में विसर्जित किया.

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बाड़मेर में महिलाओं ने परंपराओं का निर्वहन करते हुए मनाई कृष्ण जन्माष्टमी

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Published : Aug 12, 2020, 10:44 PM IST

बाड़मेर.जिले में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व पारंपरिक रूप से उत्साह के साथ मनाया जा रहा है. कोरोना महामारी के मद्देनजर मंदिरों में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध है. वहीं, महिलाओं ने परंपराओं का निर्वहन करते हुए माटी के कान्हा को ढोल-नगाड़ों के साथ मंगल गीत गाते हुए जसदेर तालाब में विसर्जित किया.

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माटी के कान्हा की मूर्ति का निर्माण कर रात भर उसकी पूजा की गई और सुबह तालाब में धूमधाम से विसर्जिन किया गया. इस दौरान शहर के जसदेर तालाब के किनारे बुधवार को श्रद्धालुओं का सैलाब नजर आया. ग्रामीण और शहरी इलाकों की महिलाएं अपने सिर पर मंगल कलश और भगवान कृष्ण की मूर्तियां लेकर तालाब किनारे पहुंची और मंगल गीत गाए गए. मंगल गीतों में भगवान कृष्ण की लीलाओं का सुरमय चित्रण किया गया.

महिलाओं ने मनाई कृष्ण जन्माष्टमी

श्रद्धालुओं ने जसदेर तालाब पर मिट्टी से बनी भगवान कृष्ण की प्रतिमा की आरती उतारी और मंगल गीत गाए. सात ही ढोल नगाड़ों के साथ मिट्टी की प्रतिमा को तालाब में विसर्जित किया. महिलाओं ने भगवान कृष्ण से कोरोना से निजात के लिए भी प्रार्थना की. इस दौरान उत्सव, उल्लास और भक्ति खूब नजर आई.भगवान कृष्ण की मूर्तियों को तालाबों में प्रवाहित और विसर्जित करने और प्रसाद वितरण के किया गया और भगवान श्री कृष्ण के जयकारों के साथ लोग अपने-अपने घरों को लौट गए.

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जसदेर तालाब पर आई महिलाओं ने बताया कि इस बार कोरोना की वजह से कोई बड़ा कार्यक्रम नहीं रखा गया. बस परंपराओं का निर्वहन करते हुए तालाब की मिट्टी से कृष्ण की प्रतिमा बनाई और पूजा अर्चना के बाद उसे तालाब में विसर्जित कर भगवान कृष्ण से कोरोना से निजात के लिए प्रार्थना की गई.

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