बाड़मेर. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने रविवार को कानोड़ में गिड़ा पंचायत समिति के वार्ड 5 से नवनिर्वाचित पंचायत समिति सदस्य भवानी राजपुरोहित की धन्यवाद सभा में भाग लिया. इस दौरान केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी ने राज्य की गहलोत सरकार पर निशाना साधा. कैलाश चौधरी ने कहा कि मोदी सरकार ये देखकर योजनाएं नहीं बनाती कि किस जाति की कितनी वोट हैं, बल्कि योजनाएं सभी के विकास को ध्यान में रखकर बनाई जा रही है.
पंचायत समिति सदस्य भवानी राजपुरोहित की धन्यवाद सभा में मंत्री कैलाश चौधरी केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि अब सबके साथ से, सबके विश्वास से, सबका विकास हो रहा है, हमारी सरकार हर किसी को खासतौर से गरीब, किसान और वंचित को बुनियादी सुविधाएं पहुंचाने और उनके विकास के लिए प्रतिबद्ध है. राज्य की गहलोत सरकार पर निशाना साधते हुए केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि राज्य में सरकार दिखाई देती तो हमारे युवा रोजगार के लिए दर-दर नहीं भटकते और किसान कर्जमाफी के लिए नहीं तरसते.
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यहां आमजन की पीड़ा न कोई सुनने वाला और न कोई समझने वाला है. यह वादा फरामोश सरकार जनता को पहले दिन से धोखा दे रही है. दस दिन में किसानों का संपूर्ण कर्जा माफ करने की पहली घोषणा भी 2 साल में पूरी नहीं हुई है. कैलाश चौधरी ने कहा कि दो साल के भीतर ही कांग्रेस सरकार की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है. राज्य की वर्तमान कांग्रेस सरकार इतिहास की भ्रष्ट, अकर्मण्य, नकारा, निकम्मी और अराजक सरकार के रूप में जानी जाएगी. कांग्रेस का जनघोषणा पत्र झूठ का पुलिंदा था जिसकी वजह से किसानों और नौजवानों के साथ वादाखिलाफी हुई है.
धन्यवाद सभा में बड़ी तादाद में किसानों ने भाग लिया किसान कल्याण की दिशा में काम रही है मोदी सरकार
कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि केंद्र सरकार पीएम किसान सम्मान योजना के तहत हर वित्त वर्ष में किसानों के बैंक खातों में कुल छह हजार रुपये की रकम ट्रांसफर करती है. यह धनराशि तीन बराबर किस्तों में किसानों के बैंक खातों में भेजी जाती है. कैलाश चौधरी ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा देश में लागू किए गए तीनों कृषि कानून किसान-हितैषी हैं तथा इनसे न केवल किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, बल्कि उनकी आर्थिक सुरक्षा के लिए ये बहुत बड़ा कदम है. उन्होंने स्पष्ट कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी निरंतर जारी रहेगी, इसे समाप्त करने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता. कृषि उपज मंडियाँ भी पूर्वानुसार कार्य करती रहेंगी, साथ ही किसानों को मंडी के बाहर फसल बेचने की सुविधा दिए जाने की प्रतिस्पर्धी व्यवस्था से किसानों को लाभ होगा.