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बाड़मेर: ग्रामीण क्षेत्र में पुरानी परंपराओं के अनुसार मनाया गया जन्माष्टमी का पर्व - सिवाना में जन्माष्टमी

सिवाना में जन्माष्टमी का पर्व बड़े उल्लास के साथ मनाया गया. ग्रामीण क्षेत्रों में सुबह से ही भक्त मंदिर में पूजा करते नजर आए. वहीं, बालिकाओं ने मनोहर राधा-कृष्ण की झांकियां भी निकाली.

rajashthan news, सिवाना में जन्माष्टमी
धूमधाम से मनी जन्माष्टमी

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Published : Aug 13, 2020, 2:11 PM IST

सिवाना (बाड़मेर). ग्रामीण क्षेत्र में परंपराओं के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी बड़े धूमधाम से मनाया गया. कन्याओं ने राधा-कृष्ण की मिट्टी की प्रतिमा बनाकर मनमोहक झांकियां निकाली. रंग बिरंगी पोशाकों और आभूषणों से सजी धजी प्रतिमाएं आकर्षण का केंद्र बन गई.

धूमधाम से मना जन्माष्टमी

सिवाना उपखंड सहित ग्रामीण क्षेत्रों में भी कृष्ण जन्माष्टमी पर मंदिरों में भक्त सुबह से ही मंदिर में नजर आए. क्षेत्र के सभी कृष्ण मंदिरों को जन्माष्टमी के उपलक्ष्य में सुंदर से सजाया गया. भक्तों में उत्साह देखने को मिला. कई जगहों पर मटकी फोड़ने की प्रतियोगिता हुई तो कई जगह राधा-कृष्ण की बनी झांकियां देखने को मिली. कई जगह रात भर कृष्ण मंदिरों में जागरण और सुर सरिता बहती रही. खासकर जन्माष्टमी पर पूरे दिन बालिकाओं ने उपवास रखे और रातभर कृष्ण कथा और कृष्ण लीलाओं का गुणगान हुआ. वहीं गुरुवार की सुबह परंपरा के साथ राधा-कृष्ण की प्रतिमाओं का विसर्जन किया गया.

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बता दें की कृष्ण जन्माष्टमी पर कन्याएं सुंदर मिट्टी से कृष्ण भगवान की प्रतिमा बनाती हैं. इन कृष्णा प्रतिमा की खास बात यह होती है कि यह मिट्टी से बनाई जाती है और बालिका इसे अपने हाथों से बनाती हैं. फिर उन्हें आभूषणों और रंग-बिरंगे पोशाकों और कपड़े पहना कर सजा धजा कर तैयार किया जाता है.

मूर्तियां बनाकर पूजा करने की परंपरा

सजी-धजी कृष्ण की प्रतिमाओं को सिर पर उठाकर झांकियों के रुप में तालाब पर ले जाया जाता हैं और तालाब में प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है. वहीं कन्याओं ने राधा-कृष्ण प्रेम प्रसंग के लोकगीतों गाते हुए गुरुवार को प्रतिमाए को विसर्जित किया. कृष्ण भगवान के जीवन की अठखेलियां को लोक गीतों से बयां करती हैं. इसी परंपरा के साथ कृष्ण भगवान की प्रतिमा को तालाब, बावड़ियों में विसर्जित कर दिया जाता है और कन्याएं कृष्ण भगवान के गुणगान करती व्रत खोलती हैं.

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