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हिम्मत और जज्बे की मिसाल : 10वीं में फेल हुआ...12वीं गणित में लाया 38 नंबर, लेकिन एक जिद थी जिसने बना दिया IPS

कहते हैं कि अगर किसी चीज को तुम शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने में लग जाती है. एक फिल्म का ये डायलॉग बाड़मेर के एक शख्स पर पूरी तरह सटीक बैठता है, जिन्होंने असफलता का स्वाद बार-बार चखने के बाद भी हार नहीं मानी. अपनी मेहनत और लगन के सहारे बुलंदी पर पहुंचे. यह कहानी है 10 में फेल होकर आगे बढ़ने वाले एक स्टूडेंट की है. जो आज आईपीएस अधिकारी है. आइए जानते हैं बाड़मेर के जगदीश बांगड़वा की सफलता की कहानी...

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Published : Oct 26, 2019, 2:24 PM IST

Updated : Oct 26, 2019, 5:39 PM IST

बाड़मेर. परेशानियों के समय हमारी सकारत्मक सोच ही हमारी सहायक होती है.कौन कहता है कि इंसान को भाग्य से ही सब कुछ मिलता है. विपरीत परिस्थितियां ही हमें कुछ अच्छा और सही करने की क्षमता प्रदान करती है, लेकिन आज की युवा पीढ़ी इस बात को चैलेंज की तरह न लेकर खुद के लिए संकट बना लेती है. फिर वह हताश होकर हार मान लेता है.

जगदीश का आईपीएस बनने तक का रोचक सफर

सफल होने के बाद हम क्या करना चाहते है, ये हम सभी ने सोच रखा है , लेकिन अगर असफल हो जाते हैं तो क्या करेंगें ये हममें से कभी किसी ने भी नहीं सोचा होता है. मन में सोच और जज्बा हो, मेहनत करने की लगन हो तो आप जीवन में हर कामयाबी को पा सकते हैं. नवचयनित आईपीएस अधिकारी जगदीश बांगड़वा की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. आज इनके बारे में सुनना हर छात्र और युवा के लिए बेहद जरूरी है. खासकर, उन छात्रों को जो छात्र जीवन में फेल होने के बाद निराशा के भाव से भर जाते हैं और आगे बढ़ने का साहस तक नहीं जुटा पाते.

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अर्श से फर्श तक का जगदीश का सफर

जगदीश बताते हैं कि जब वे दसवीं क्लास में थे. मेडिकल कारणों की वजह से वे परीक्षा नहीं दे पाए थे और फेल हो गए थे. उसके बाद उन्होंने दसवीं की फिर से पढ़ाई की थी. दसवीं की पढ़ाई पूरी होने के बाद नौकरी लेने वाले की इच्छा लेकर उन्होंने मैथ्स ले लिया. लेकिन दो साल के अंदर उन्हें लगने लगा कि मैथ्स में वे कुछ भी नहीं कर पा रहे हैं. वहां भी उन्हें असफलता ही हाथ लगी. जगदीश का जब 12वीं का परिणाम आया तो गणित विषय में महज 38 नंबर पासिंग मार्क्स आए. लगातार असलफता मिलने के बाद भी वे मेहनत करते रहे.

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गांव का पहला आईपीएस, युवा पीढ़ी के लिए है मिसाल

जगदीश ने बताया कि उनके सामने इस दौरान कई चैलेंज आए. क्योंकि, वे एक बहुत ही छोटे से गांव से आते हैं. उन्हें सिविल सर्विसेज के बारे में कभी इतनी जानकारी नहीं थी. उन्होंने सोच रखा था कि पढ़-लिखकर आईटीआई में जाकर नौकरी कर लेंगे. लेकिन जगदीश की किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था. पहले उन्होंने आरएएस एग्जाम पास किया. उसके बाद सिविल सर्विसेज की तैयारी करनी शुरू कर दी. इसके बाद 2018 में उन्हें 486वीं रैंक हासिल हुई. आखिरकार मेहनत का फल उन्हें मिला और उनके सपनों को पर मिल गए. जगदीश की इस कहानी से हर एक युवा को सीख लेनी चाहिए जो जरा सी बात पर हताश होकर बैठ जाते हैं. कोशिश करना ही बंद कर देते हैं. जगदीश आज की युवा पीढ़ी के लिए एक मिसाल है.

Last Updated : Oct 26, 2019, 5:39 PM IST

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