बाड़मेर.लोक कलाकारों की धमक राजस्थान ही नहीं बल्कि सात समुंदर पार भी बरकरार है. उसको कायम रखने वाले लोक कलाकार फकीरा खान बताते हैं कि उन्होंने अपने 35 साल के कैरियर में लोक कला को जिंदा रखने के लिए पूरा संघर्ष किया है. आज के जमाने के युवा भले ही इसमें रुचि न रखते हों. लेकिन उन्होंने इस लोक कला को जिंदा रखने के लिए पूरा जीवन लगा दिया.
लोक कलाकार 'फकीरा खान' को 'वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड' ने किया सम्मानित - folk artist
पारंपरिक राजस्थानी लोक संगीत एवं सूफी संगीत के साथ स्थानीय कला और संस्कृति को समूचे विश्व में पहचान दिलाने वाले अंतर्राष्ट्रीय लोक कलाकार फकीरा खान विशाला को एक निजी होटल में बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की ओर से शुक्रवार को सम्मानित किया गया. उनको यह सम्मान 103 देशों के 300 बड़े शहरों में 1 हजार से अधिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति देने पर मिला है.
फकीरा खान और उनकी पूरी पार्टी कई बार टीवी शो में भी भाग ले चुकी है. उन्होंने कहा कि आज के समय में लोक कला लुप्त होने के कगार पर है. इसका सबसे बड़ा कारण आज की युवा पीढ़ी है. दरअसल, ये युवा पीढ़ी लोक कला में रुचि नहीं रखती. ऐसे में लोक कला लुप्त होने का यह सबसे बड़ा कारण है. खान ने यह भी कहा कि आज भी पुराने लोग या पुराने कार्यक्रमों में लोक कला के गीत बजाने के लिए फरमाइश करते नजर आते हैं.
कार्यक्रम में संतों का सानिध्य रहा. इस दौरान वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड लंदन के अध्यक्ष संतोष शुक्ला और निर्णायक संजय पंजवानी, जिला कलेक्टर हिमांशु गुप्ता और जिला पुलिस अधीक्षक शिवराज मीणा सहित कई उद्यमी मौजूद रहे.