बाड़मेर. देश के वरिष्ठ भाजपा नेताओं में शुमार वाजपेयी सरकार में वित्त, रक्षा और विदेश मंत्री जैसे महत्वपूर्ण विभागों को संभालने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह का रविवार को 82 वर्ष की उम्र में निधन हो गयाय कद्दावर नेता जसवंत सिंह की कई यादें हैं, जो देश और प्रदेश की राजनीति में हमेशा जहन में ताजा रहेगी. राजस्थान की सियासत में जसवंत सिंह को लेकर कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिनकी स्मृतियां ही अब शेष हैं.
सेना में मेजर पद से इस्तीफा देकर राजनीति के मैदान में आए जसवंत सिंह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के करीबी मित्र थे और राजनीति में उन्हें अटल जी के 'हनुमान' के नाम से भी जाना जाता था. जसवंत सिंह राजनीतिक करियर में शीर्ष पर भी रहे और अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी जैसे नेताओं के साथ उनकी मित्रता भी जग जाहिर थी. लेकिन अपने राजनीतिक करियर में कई उतार-चढ़ाव के दौर से भी उन्हें गुजरना पड़ा और विवादों से भी उनका चोली दामन का साथ रहा.
वसुंधरा-जसवंत आमने सामने
पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने आखिरी चुनाव लड़ने की इच्छा 2014 में बीजेपी पार्टी आलाकमान के सामने रखी. इस दौरान उन्होंने बताया था कि वह अपना आखिरी चुनाव अपने घर यानी बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा क्षेत्र से लड़ना चाहते हैं. इस बात को लेकर तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने आलाकमान के सामने आपत्ति दर्ज करवाई और इसी बात को लेकर बीजेपी और जसवंत सिंह आमने-सामने हो गए थे.
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जसवंत सिंह जसोल लगातार बीजेपी में लोकसभा और राज्यसभा से कई बार सांसद चुने गए थे और आखिरी बार 2009 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें पश्चिम बंगाल के दार्जीलिंग सीट से चुनाव लड़ाया. यहां से वे भारी मतों से अपना चुनाव जीते थे. इसके बाद 2014 में जब जसवंत सिंह ने पार्टी आलाकमान से यह बात कही कि वह आखरी चुनाव अपने घर से लड़ना चाहते हैं तो विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई.