बाड़मेर. कृषि कानूनों के विरोध में किसान संगठन पिछले कई दिनों से दिल्ली बॉर्डर पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. किसान कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. कांग्रेस भी किसानों की हमदर्द बनकर किसानों के आंदोलन को समर्थन दे रही है लेकिन राजस्थान में गहलोत सरकार में किसानों के हाल-बेहाल है. बाड़मेर जिले में करीब 50 हजार किसान रबी फसलों के ऋण से वंचित हैं.
सहकारिता मंत्री के आदेश के बावजूद सेंट्रल को-ऑपरेटिव व अपैक्स बैंक की लापरवाही के कारण अवधिपार श्रेणी में आए किसानों को कर्ज के लिए चक्कर काटने पड़ रहे हैं. बड़ी बात यह है कि 250 जीएसएस से जुड़े 50 हजार किसानों पर एक रुपए का भी कर्ज बकाया नहीं है, बावजूद इसके बैंक लोन नहीं दे रहा है. ग्राम सेवा सहकारी समिति के अध्यक्ष देवी सिंह ने बताया कि किसानों के खरीफ का भी ऋण हुआ नहीं अब रबी के ऋण के लिए किसान वहां जा रहे हैं और चक्कर काट रहे हैं.
उन्होंने बताया कि सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना ने अपैक्स व सीसीबी को आदेश जारी कर वंचित किसानों को लोन देने के लिए छह माह पूर्व आदेश जारी कर दिए थे. उसके बावजूद भी अधिकारी इसको गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. जिसकी वजह से किसानों को धक्के खाने पड़ रहे हैं और ऋण के लिए तरसना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने बड़े-बड़े वादे किए लेकिन किसानों को ऋण नहीं मिल रहा है और 2018 से डाटा समस्या आ रही है, किसान ऋण माफ किया गया था. लेकिन पोर्टल में उन्हें डिफॉल्टर घोषित कर रखा है. जिसकी वजह से उन्हें ऋण नहीं मिल रहा है.
उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर मैंने एमडी से भी बात की तो उन्होंने कहा कि हमारे पास बजट नहीं है. राजस्थान सरकार देगी तो हम ऋण देंगे. सरपंच संघ के जिलाध्यक्ष हिंदू सिंह तामलोर ने बताया कि अकाल पड़ गया और ऊपर से कोरोना की मार से किसानों की हालत खराब है. बैंक एमडी द्वारा ना जाने किस वजह से किसानों को परेशान किया जा रहा है. राजस्व मंत्री हरीश चौधरी व बाड़मेर विधायक मेवाराम जैन भी इस मुद्दे की पैरवी कर चुके हैं, लेकिन बैंक अफसर गंभीर नहीं होने से किसानों की समस्या का समाधान नहीं हो रहा है.