बाड़मेर. जिले में पहले जहां किसानों की टिड्डीयों ने फसल को चट किया, तो रही सही कसर बीते दिनों हुई ओलावृष्टि ने किसानों की फसलों को पूरी तरह बर्बाद कर दिया, जिसकी वजह से किसानों को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है. वहीं सरकार ने इन किसानों को राहत देते हुए बर्बाद फसल की गिरदावरी के निर्देश दिए हैं, लेकिन पटवारियों की मनमर्जी से मजबूर किसानों ने जिला कलेक्टर अंशदीप को ज्ञापन सौंपकर गिरदावरी करवाने की मांग की है.
टिड्डी-ओलावृष्टि से प्रभावित किसानों ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन शुक्रवार को बाड़मेर जिला मुख्यालय पर चौहटन क्षेत्र के टिड्डी और ओलावृष्टि से प्रभावित किसानों ने जिला कलेक्टर अंशदीप को ज्ञापन सौंपकर बताया कि ग्राम पंचायत मिठड़ाऊ में टिड्डीयों ने उनकी फसलों को पूरी तरह से चट कर दिया है, वहीं क्षेत्र में ओलावृष्टि के कारण सरकार ने प्रभावित किसानों के लिए विशेष गिरदावरी के आदेश दिए थे, लेकिन क्षेत्र के पटवारी ने भेदभाव रूप से गिरदावरी रिपोर्ट बनाई है. ज्ञापन में किसानों ने पटवारी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि पटवारी को जिन लोगों ने पैसे दिए है, उन लोगों की गिरदावरी कर दी गई है. जो गरीब अनुसूचित जनजाति वर्ग के काश्तकारों ने रुपए नहीं दिए है, उन्हें गिरदावरी से वंचित रखा गया है.
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किसानों ने कहा कि उन्होंने पटवारी से गिरदावरी कर लाभान्वित करने के लिए निवेदन दिया था, उनकी कोई अधिकारी सुन नहीं रहे हैं. अपनी मनमर्जी से अपने चहेतों की गिरदावरी कर लाभान्वित किया जा रहा है. बताया जा रहा है कि इसमें कई ऐसे किसानों को लाभान्वित किया गया, जिसकी खेत में काश्त भी नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि जिन किसानों की वास्तविक रूप से पूरी फसल टिड्डी ने नष्ट कर दी है और जो वास्तविक रूप से पीड़ित है, उन्हें गिरदावरी नहीं किया जा रहा है. इसको लेकर किसानों ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर जल्द से जल्द मामले की सुनवाई की मांग की है.
पेयजल की किल्लत को लेकर ग्रामीणों ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन
बाड़मेर के गडरा ब्लॉक के कई गांव के ग्रामीण गर्मी के मौसम की शुरुआत में ही पानी की समस्याओं से जूझ रहे हैं. इसको लेकर ग्रामीणों ने जिला मुख्यालय पहुंचकर कलेक्टर अंशदीप को ज्ञापन सौंपा. इसमें ग्रामीणों ने बताया कि गर्मी के मौसम की शुरुआत में ही गडरा के ताणु मानजी, सोलंकीया तनु रावजी, जान सिंह की बेरी गांव में पिछले 5 महीनों से पानी की किल्लत के कारण ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है और पेयजल के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है.
पेयजल की किल्लत को लेकर ग्रामीणों ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन बताया जा रहा है कि यहां कई जगह पानी की पाइप लाइन टूटी पड़ी है, लेकिन जलदाय विभाग इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है. पानी की कमी होने के कारण तहसील स्तर, जिला स्तर पर भी अधिकारियों को अवगत करवाया, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है. साथ ही क्षेत्र में अवैध कनेक्शन भी जोड़े गए हैं, लेकिन अधिकारियों की ओर से उन पर कोई कार्रवाई नहीं किया जा रहा है. ग्रामीणों का कहना है कि सैकड़ों अवैध कनेक्शन होने के कारण पानी नहीं पहुंच पा रहा है. पुरानी पाइप लाइन में अवैध कनेक्शन और बबूल के पेड़ों की जड़े आ जाने के कारण पानी आगे मुख्य स्थानों तक नहीं पहुंच रहा है, जबकि पानी की पाइप लाइन जो 7 किलोमीटर तक नहीं स्वीकृत होने के बाद भी लाइन बिछाया नहीं गया है.
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ग्रामीणों ने बताया कि यहां के लोगों मवेशी पालन कर अपना जीवन यापन करते हैं. पीने के पानी के टैंकर हरसाणी तालाब से प्रति टैंकर 900 से 1000 रुपए में डलवाना पड़ रहा है, जिससे लोगों की आर्थिक रूप से कमर टूट रही है और गंदे पानी पीने को लोग मजबूर है. जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही की वजह से क्षेत्र के लोगों को पानी की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीणों ने कहा कि इस समस्या का समाधान समय पर नहीं किया गया, तो मजबूरन धरना प्रदर्शन पर उतरना पड़ेगा.