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बाड़मेर: 24 घंटे पहले संभागीय आयुक्त ने किया था दौरा, बावजूद मरीजों के परिजन निजी लैब जाने को मजबूर

जोधपुर संभागीय आयुक्त डॉ. समित शर्मा शनिवार को बाड़मेर के दौरे थे. इस दौरान उन्होंने निशुल्क दवा एवं निशुल्क जांच योजना का शत-प्रतिशत लाभ आम जनता को देने के निर्देश दिए थे. लेकिन उनके निर्देशों के महज 24 घंटे बाद से ही मरीजों के परिजनों को जांच के लिए बाहर की लैब में जाने को मजबूर नजर आ रहे हैं.

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मरीजों के परिजन निजी लैब जाने को मजबूर

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Published : Sep 13, 2020, 8:45 PM IST

बाड़मेर.जोधपुर संभागीय आयुक्त डॉ. समित शर्मा शनिवार को बाड़मेर के दौरे पर रहे थे. इस दौरान सबसे ज्यादा चर्चा में रहा राजकीय चिकित्सालय अपने अव्यवस्थाओं और प्रशासनिक उदासीनता की चादर से शायद बाहर नहीं निकलना चाहता है.

संभागीय आयुक्त डॉ. समित शर्मा के दौरे और निरीक्षण के दौरान उन्होंने निशुल्क दवा एवं निशुल्क जांच योजना का शत-प्रतिशत लाभ आम जनता को देने के निर्देश दिए थे. लेकिन उनके निर्देशों के महज 24 घंटे बाद से ही मरीजों के परिजनों को जांच के लिए बाहर की लैब में जाने को मजबूर नजर आ रहे हैं.

मरीजों के परिजन निजी लैब जाने को मजबूर

बाड़मेर की राजकीय अस्पताल में रविवार को मरीजों जांच के लिए निजी लबों में जाने को मजबूर है. जिला अस्पताल के मेल वार्ड में शनिवार शाम को 40 वर्षीय देवीलाल को भर्ती किया गया. वहीं, रविवार को डॉक्टर ने ब्लड सहित कई जांचे लिखी. इसके बाद उसके सैंपल को लेकर मरीज के परिजन राजकीय अस्पताल के चक्कर लगाते नजर आए. दरअसल, देवीलाल के ब्लड का सैंपल लेकर उसके परिजन जांच केंद्र पहुंचे तो लेबोरेट्री में कार्यरत कार्मिकों ने इसे वार्ड बॉय का काम कहकर उन्हें चलता कर दिया. जब मरीज के परिजन वापस अपने वार्ड पहुंचे और वार्ड बॉय से बात की तो वार्ड बॉय ने ब्लड के सैंपल लेकर फिर से लेबोरेट्री पहुंचा दिया. लेकिन तब तक लेबोरेट्री बंद हो चुकी थी. इसके बाद मरीज के परिजन हाथों में ब्लड के सैंपल लिए इधर-उधर घूम रहे थे.

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अस्पताल में भर्ती मरीज देवीलाल के भाई ने बताया कि शनिवार शाम को मेरे भाई को जिला अस्पताल में चक्कर आने की शिकायत पर भर्ती करवाया था. वहीं, रविवार को जब डॉक्टर उसे देखने आए तो डॉक्टरों ने कई तरह की जांच लिखी, जिसके सैंपल देने के लिए मैं लेबोरेट्री पहुंचा. इस पर लेबोरेट्री के कार्मिकों ने कहा कि अस्पताल में भर्ती मरीज के ब्लड के सैंपल बेड पर ही लिए जाएंगे, जिस पर वह वापस वार्ड में आया और नर्सिंगकर्मियों से बात करके ब्लड के सैंपल लिए. उसके बाद सैंपल जमा करवाने के लिए वापस लेबोरेटरी पहुंचा. लेकिन लेबोरेटरी बंद हो गई. इसके बाद से वह सैंपल लेकर इधर-उधर घूम रहा है. जब तक इन ब्लड की रिपोर्ट नहीं आएगी तो भाई का इलाज नहीं होगा.

अब ऐसे में उसे मजबूरन बाहर के निजी लैब में जाकर महंगे दाम जांच करवानी पड़ेगी. बता दें कि संभागीय आयुक्त समित शर्मा के बाड़मेर दौरे के दौरान भी कई ऐसे मामले उनके सामने आए थे. इन मामलों में डॉक्टरों द्वारा निजी निजी लेबोरेटरी में जांच करवाई जा रही है, जिस पर उन्होंने खासी नाराजगी जाहिर की थी. इसके बाद अस्पताल में अव्यवस्थाओं के चलते उन्होंने पीएमओ को चार्ज सीट जारी की है. लेकिन उसके बावजूद भी हालात जस के तस बने हुए हैं.

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