चौहटन (बाड़मेर).जिले के चौहटन उपखंड के कापराऊ ग्राम पंचायत के सेंवरों का तला निवासी हीर सिंह को शिक्षक बनने के सपना अधूरा ही रहने का डर सता रहा है. वह 6 माह पहले करंट लगने से अपने दोनों हाथ गंवा बैठा था. चिकित्सा विभाग द्वारा 80 प्रतिशत विकलांगता का प्रमाण पत्र देने पर उसे सुनहरे भविष्य की उम्मीद जगी थी.
प्री डीएलएड परीक्षा में दिव्यांग छात्र को नहीं मिला अनुलेखक हीर सिंह बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण है, अब वह एसटीसी करना चाहता है, लेकिन उससे पहले ही प्री परीक्षा के एक दिन पहले ही उसके सपने काफूर होने का डर पैदा हो गया, जो अंत तक भी बरकरार रहा है. प्राथमिक शिक्षा विभाग ने उसे प्री परीक्षा में अनुलेखक की अनुमति नहीं दी. हीर सिंह ने गांव से लेकर उच्च स्तर तक काफी प्रयास किए, लेकिन उसे कामयाबी हासिल नहीं हो सकी.
पढ़ें-कोरोना संकट के बीच आयोजित हुई प्री-बीएलएड परीक्षा, गाइडलाइन का रखा पूरा ध्यान
हीर सिंह के अनुसार अनुलेखक की अनुमति केंद्राधीक्षक द्वारा दी जाती है, शनिवार शाम के बाद सभी स्तर पर प्रयासों के बावजूद अनुदेशक की स्वीकृति नहीं मिल सकी. केंद्राधीक्षक के बाद वह सीबीईओ, एसडीएम, जिला कलेक्टर से भी रूबरू हुआ, लेकिन उन्होंने भी गाइडलाइन में निर्देश नहीं होने का हवाला देकर इससे इनकार किया.
अब सोमवार को वह अपने कटे हाथ पर कलम बांधकर परीक्षा हॉल में दाखिल हो गया, उसने अपने हाथ पर कलम बांधकर ओएमआर शीट भरने का प्रयास किया है. हीरसिंह ने बताया कि उसने परीक्षा तो दे दी है, लेकिन सरकार के जटिल नियम दिव्यांगों के लिए बाधक है. इसमें राहत मिलनी चाहिए.