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City Lifeline: रेतीले धोरों में फूटी तेल की धार...बदल गई तस्वीर और तकदीर

रेतीले धोरों की धरा बाड़मेर किसी पहचान का मोहताज नहीं है. भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर स्थित इस जिले में सैन्य गतिविधियां हमेशा से रही हैं. लेकिन इस जिले की सूरत और सीरत ने तब बदलाव महसूस किया जब यहां कच्चे तेल के भंडार (Crude oil is lifeline for barmer) मिले. तेल के रूप में सोना उगलने वाली इन धोरों ने जिले की किस्मत ही बदलकर रख दी है.

Crude oil is lifeline for barmer
Crude oil is lifeline for barmer

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Published : Oct 10, 2022, 8:21 AM IST

Updated : Oct 10, 2022, 9:53 AM IST

छगन सिंह, बाड़मेर.भारत-पाकिस्तान के बॉर्डर वाला जिला बाड़मेर का नाम लेते ही जहन में रेतीले रेगिस्तान की तस्वीर की कल्पना उभरने लगती है. धोरों की धरा के बीच सदियों पुरानी संस्कृति और खजाने को समेटे बाड़मेर करीब 15 साल पहले अधिकारियों के लिए सजा स्थल के रूप में माना जाता था. चारों तरफ रेतीले धोरे और सुविधाओं के अभाव में जीने वाले बाड़मेर ने अपनी यात्रा के कई उतार-चढ़ाव देखे हैं. लेकिन बाड़मेर के किस्मत को यहां मिले तेल के भंडार (Crude oil is lifeline for barmer) ने ऐसा बदला कि ये जिला अब फर्राटे मारते हुए विकास पथ की तरफ दौड़ गया है.

रेगिस्तानी रेतों ने कच्चे तेल के रूप में ऐसा सोना उगला कि 15 साल के भीतर इस जिले की तकदीर और तस्वीर दोनों बदल गई. पूरे देश का 20 फ़ीसदी से ज्यादा कच्चा तेल बाड़मेर से निकलता है. वर्तमान में 70 हजार करोड़ रुपए की रिफाइनरी का काम यहां चल रहा है. वर्ष 2000 के बाद लगातार विदेशी कंपनियों ने यहां पर तेल खोजने का काम किया. तेल के खोज के काम में वर्ष 2006 में सफलता मिली. जिसके बाद यहां के लोगों को रोजगार के नए अवसर मिले लोगों की जमीन तो आवाप्त हुई. वर्तमान में वेदांता ग्रुप तेल निकालने का काम कर रहा है.

रेतीले धोरों में फूटी तेल की धार

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रिफाइनरी के साथ ही कोयला के भंडारः बाड़मेर जिले में तेल के भंडार मिलने के साथ ही इस जिले की तकदीर और तस्वीर दोनों बदलने लगी पचपदरा में रिफाइनरी का काम चल रहा है. वर्तमान में बाड़मेर जिले में निकलने वाला तेल 700 किलोमीटर पाइप लाइन के जरिए हिट वेव के जरिए जामनगर गुजरात के रिफाइनरी में जा रहा है. बाड़मेर में लग रही रिफाइनरी की कुल लागत करीब 70 हजार करोड़ रुपए है. इसमें से अभी तक 25 फीसदी काम पूरा हो गया है. बाड़मेर जिले में कोयले का भंडार भी अच्छा है.

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कभी झेलता था पिछड़ेपन का दंशःस्थानीय निवासी डालूराम चौधरी ने बताया कि बाड़मेर बॉर्डर इलाका होने के साथ ही काफी पिछड़ा हुआ था. आर्थिक स्थिति यहां अच्छी नहीं थी. लोगों को रोजगार के लिए काफी समस्या का सामना करना पड़ता था. उन्होंने बताया कि पहले यहां के लोग रोजगार के लिए पंजाब और गुजरात जाकर मजदुरी करके अपना गुजारा चलाते थे. लेकिन जब यहां ऑयल कंपनियां आई उसके बाद से काफी कुछ बदलाव होने के साथ ही प्रति व्यक्ति आय में भी बढ़ोतरी हुई है. उन्होंने बताया कि लोगों को उनकी योग्यता के अनुसार रोजगार भी मिला है और उनकी जीवन शैली में भी बदलाव हुआ है. उन्होंने बताया कि ऑयल के साथ ही पावर प्रोजेक्ट आने के बाद से बाड़मेर का बेहतर विकास हुआ है.

बाड़मेर में बदले हालात

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2006 से पहले दिखती थी इक्का-दुक्का लग्जरी गाड़ियांःव्यापारी उमेश ने बताया कि बाड़मेर में ऑयल फील्ड आने के बाद से हर क्षेत्र में विकास हुआ है. 2006 से पहले बाड़मेर में इक्का-दुक्का ही लग्जरी गाड़ियां थी. लेकिन आज स्थिति कुछ और है. पहले यहां पर अच्छी सड़कें नहीं थी, लेकिन अब बड़े-बड़े ओवर ब्रिज बाड़मेर में बन गए हैं. जिसकी वजह से यातायात भी सुगम हुआ है. साथ ही बड़े बड़े मॉल , बड़े बड़े होटल्स खुले है. बाड़मेर में जब से पेट्रोलियम की खोज हुई है उसके बाद से बाड़मेर विकास की राह पर दौड़ रहा है. बाड़मेर में वर्ष 2006 से पहले करीब तीन से चार होटल हुआ करते थे. लेकिन वर्तमान में छोटे-बड़े मिलाकर करीब 100 से अधिक होटल यहां हैं.

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विकास के साथ बढ़ा व्यापारः व्यापारी महेश चौधरी ने बताया कि ऑयल कंपनियां आने के बाद इंफ्रास्ट्रक्चर (infrastructure of barmer) बढ़ा है. पॉश कॉलोनियां विकसित हुई हैं. लोगो को रोजगार भी मिला. साथ ही व्यापार भी बढ़ा है. उन्होंने कहा कि किसी समय में बाड़मेर को काले पानी की सजा के तौर पर देखा जाता था. जब अधिकारियों व कार्मिकों का तबादला बाड़मेर किया जाता था तब हालात कुछ और थे, लेकिन अब बहुत कुछ बदल गया है. अब बाड़मेर पहले जैसा नहीं रहा. यह विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है. जिले में रिफाइनरी लगने के चलते जमीनों के भाव करीब तीन गुना तक बढ़ गए हैं. वहीं, जिन किसानों की जमीन आवाप्त हुई थी, उन्हें रोजगार देने की बात भी कही गई. कई लोगों को रोजगार मिला है.

बाड़मेर फैक्ट फाइल

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सैन्य गतिविधियों के लिहाज से खास है जिलाः देश का पांचवां बड़ा जिला कहलाने वाला बाड़मेर 28,387 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है. इस जिले का एक हिस्सा रेगिस्तान है. बाड़मेर के उत्तर में जैसलमेर, दक्षिण में जालोर है. पूर्वी सीमा पर जोधपुर व पाली है. जबकि बाड़मेर का पश्चिमी सीमा में भारत-पाकिस्तान बॉर्डर है. गर्मी के मौसम में यहां तापमान 50 डिग्री से ऊपर चला जाता है. जबकि सर्दियों में यही पारा जमाव बिंदू पर पहुंच जाता है. यह जिला सैन्य गतिविधियों के लिहाज से खास है. यहां वेस्टर्न राजस्थान के बड़े सैन्य स्टेशन हैं. यहां पर एयरफोर्स का उत्तरलाई में स्टेशन है. जबकि थल सेना का जसई और जालिपा मुख्य है. बाड़मेर की पाकिस्तान के साथ 270 किलोमीटर की अंतरराष्ट्रीय सीमा लगती है. इस लिहाज से ये जिला सुरक्षा के खातिर भी काफी अहम है.

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Last Updated : Oct 10, 2022, 9:53 AM IST

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