बालोतरा (बाड़मेर). समूचे विश्व में फैले कोरोना वायरस के संक्रमण को भारत में रोकने के लिए प्रधानमंत्री मोदी द्वारा लॉकडाउन लगाते हुए लोगों को अपने घरों में रहने के निर्देश दिए गए. लॉकडाउन 1 खत्म होने के बाद 3 मई तक लॉकडाउन 2.0 भी शुरू हो चुका है.
कोरोना ने छीना गरीब लोगों के मुंह का 'निवाला' उसी क्रम में ईटीवी भारत ने भी बालोतरा उपखंड के ग्राउंड जीरो पर पहुंचकर लोगों से बात की. इस लॉकडाउन में सरकार की ओर से कितनी सहायता मिली, या फिर भामाशाहों के सहयोग से अपना गुजारा चल सके. ईटीवी भारत की टीम शहर के बीचों बीच स्तिथ एक कच्ची कॉलोनी पहुंची, जहां छत पर लोगों से पत्थर भी नहीं लगे हुए थे. केवल प्लास्टिक के बारदान से मकान की छत बनाई हुई थी. उन घरों में रह रहे गरीब परिवार के लोगों का हाल जाना जो वास्तविक आज भी पूर्ण रूप से अपना गुजारा नहीं चला पा रहे थे.
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उनको ये अनुमान नहीं था, कि वैश्विक महामारी कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन की परिस्थितियों में फंस जाएंगे. सरकारी मदद जरूर मिली कहीं एक बार तो कहीं दो बार राशन सामग्री का किट मिला. लेकिन उस किट से 8 से 10 लोगों का भोजन केवल तीन दिन चलता है. ईटीवी भारत की टीम द्वारा रिपोर्टिंग के दौरान शहर के एक पार्षद द्वारा अपनी टीम के माध्यम से उन जरूरतमंद परिवारों के लिए भोजन के पैकेट लेकर पहुंचे तो उनसे भी जानने की कोशिश की गई. स्थानीय पार्षद नेनाराम ने बताया, कि 22 मार्च के बाद से लगातार क्रम जारी है. प्रतिदिन 400 भोजन के पैकेट लेकर हम यहां भेजते है. हम ये भोजन के पैकेट घरों से मांग कर लाते है और इन जरूरतमंद परिवारों तक पहुंचाने का काम करते है.