हेमाराम चौधरी का चुनाव लड़ने से इनकार बाड़मेर. वन एवं पर्यावरण मंत्री हेमाराम चौधरी ने इस बार विधानसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है. चौधरी चाहते हैं कि इस बार किसी और को मौका मिले, लेकिन उनके समर्थक चाहते हैं कि हेमाराम चौधरी ही चुनाव लड़ें. ऐसे में सोमवार को गुड़ामालानी में उनके समर्थकों ने एक बड़ी सभा आयोजित की. सभा के दौरान वक्ताओं ने हेमाराम चौधरी से चुनाव लड़ने को लेकर सहमति का प्रयास किया, जबकि हेमाराम चौधरी भी अपनी बात पर अड़े हुए हैं. हेमाराम और उनके समर्थकों के बीच अभी इस बात को लेकर गतिरोध बना हुआ है.
6 बार विधायक बना, इसके लिए जनता का ऋणी हूं : सभा को संबोधित करते हुए हेमाराम चौधरी ने कहा कि आज जिस मुकाम पर हूं, वह सिर्फ गुड़ामालानी की जनता की वजह से हूं. चौधरी ने कहा कि मुझे इस बात का पूरा एहसास है और इस बात को भूल नहीं सकता हूं. आप लोगों ने मुझे यहां से 6 बार विधायक के रूप में चुना है. आपने कोई कमी नहीं रखी, इसके लिए आप लोगों का ऋणी हूं और आप लोगों का ऋण मैं न चुका पाया और न चुका पाऊंगा.
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जनता के दरबार में आया हूं : हेमाराम चौधरी ने कहा कि आप लोगों ने आज चुनाव की तैयारी को लेकर बैठक रखी है, जबकि मैं तो आप लोगों के बुलावे पर जनता के दरबार में आया हूं. आने का मतलब यह नहीं हुआ कि मैं कोई चुनाव लड़ने के इरादे से यहां उपस्थित हुआ हूं. चौधरी ने कहा कि आप लोग चाहते हैं कि मैं चुनाव लाडूं, मैं आपकी भावनाओं की कद्र करता हूं.
विधानसभा चुनाव लड़ने की 1980 से हुई शुरुआत : चौधरी ने कहा कि चुनाव लड़ने की शुरुआत 1980 से हुई. उसे समय भी मैं गुड़ामालानी से चुनाव नहीं लड़ना चाहता था, यह बात सबको पता है. टिकट घोषित होने के बाद जयपुर गया चुनाव लड़ने से इनकार करने के लिए, लेकिन पार्टी का आदेश था कि अब टिकट बदल नहीं सकता और दूसरे को देंगे नहीं. चुनाव आपको ही लड़ना पड़ेगा और चुनाव लड़ा.
नहीं की टिकट की मांग : चौधरी ने कहा कि इस बार मैंने चुनाव लड़ने को लेकर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को मना कर दिया है. टिकट देने वालों को मना कर दिया है और टिकट के लिए देवदारी की प्रक्रिया में भी हिस्सा नहीं लिया. टिकट भी नहीं मांगा और न ही कोई टिकट के लिए आवेदन किया. चौधरी ने कहा कि चुनाव खूब लड़ लिए, कोई कमी नहीं रखी.
मोहब्बत और प्रेम का रिश्ता बना रहे : चौधरी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि मैं आप लोगों को छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा. आप लोगों के बीच ही रहूंगा. मंत्री के नाते पहले तो जयपुर जाना पड़ता था और पूरे राजस्थान को देखना पड़ता था. कितना काम का मेरे ऊपर बोझ था और अगर मैं उन सारे काम के बोझ से मुक्त हो जाऊंगा तो फिर तो आप लोगों के बीच में ही रहना है. फ्री हो जाऊंगा, फिर क्या करना है. चौधरी ने कहा कि आप लोगों से जो मोहब्बत और प्रेम का रिश्ता है, उसे बनाए रखना चाहता हूं.
तनाव से मुक्ति चाहता हूं : चौधरी ने कहा कि जो लोग 24 घंटे मेरे साथ रहते हैं, उन लोगों को भी आज यहां लेकर आया हूं ताकि वह लोग भी आपको बता सकें मेरी स्थिति क्या है. चौधरी ने एक उदाहरण देते हुए कहा कि मेरी काया (शरीर). इस पद पर रहते हुए आराम की जिंदगी जी रहा हूं या टेंशन में हूं, तनाव में हूं, इसीलिए मैं कह रहा हूं कि कि मैं तनाव से मुक्ति चाहता हूं.
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सब तरह का अनुभव है : हेमाराम चौधरी ने कहा कि अभी कुछ लोग कह रहे थे कि आप चुनाव जीत जाओगे. उन्होंने कहा कि जीत-हार से क्या फर्क पड़ता है. हेमाराम चौधरी ने कहा कि मैंने जीत और हार भी देखी है और चुनाव नहीं लड़ा वह भी देखा है. उन्होंने कहा कि मुझे सब तजुर्बा है. विधायक, नेता प्रतिपक्ष, मंत्री राज्यमंत्री, सत्ता का और विपक्ष और बिना विधायक, सब तरह का अनुभव है मेरे पास. फेल नहीं हूं.
एमएएल कोई बने, जनता का काम नहीं रुकेगा : चौधरी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आप लोगों को किस बात की चिंता है. एमएलए कोई बने, आपका काम नहीं रुकेगा. आपके काम की जिम्मेदारी मेरी है. चौधरी ने एक बार फिर जनता को भरोसा दिलाते हुए कहा कि आपका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता. बिगड़ने की कोशिश करेगा तो पहले हेमाराम आएगा.
समर्थकों से बोले- अन्न जल त्याग दूंगा : हेमाराम चौधरी ने कहा कि आप लोगों ने पहले योजना बना रखी है कि प्रसाद (भोजन) नहीं लेंगे. आप लोग मेरी बात से सहमति नहीं रखोगे तो मैं भी अन्न-पानी त्याग दूंगा, फिर क्या करोगे. इसलिए मुझे जो कहना था, वह कह दिया. एक बार को बार-बार दोहराने का कोई औचित्य नहीं है. इस बार आप किसी और को चुनाव लड़ाओ.
टिकट से पहले इस बात को लेकर बैठना ठीक नहीं : इसके बाद हेमाराम चौधरी जनता के बीच जाकर बैठ गए और लोगों की समझाइश के बाद फिर एक बार हेमाराम चौधरी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि पहले पार्टी टिकट दे, उसके बाद उम्मीदवारों की बात करें. उन्होंने कहा कि अभी तो पता नहीं पार्टी किसको अपना टिकट देगी. पहले ही इस बात को लेकर बैठ जाएंगे तो यह ठीक नहीं है. अंत में हेमाराम चौधरी ने कहा कि फैसला ईश्वर पर छोड़ दो, जो करेगा अच्छा ही करेगा.