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रेगिस्तान में BSF के जांबाज हमेशा रहते हैं मुस्तैद...1971 में पाक को दिया था मुंहतोड़ जवाब - रेगिस्तान में भारतीय सेना

सीमा सुरक्षा बल की स्थापना 1 दिसंबर 1965 को हुई थी. सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने युद्ध के दौरान पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिए थे. बात है 1971 की. भारत पाकिस्तान की लड़ाई के दौरान सबसे पहले पश्चिमी राजस्थान में सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने ही पाकिस्तानी सेना को मुंहतोड़ जवाब दिया था.

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आज बीएसएफ का स्थापना दिवस

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Published : Dec 1, 2020, 7:07 PM IST

बाड़मेर. सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ आज अपना स्थापना दिवस मना रहा है. बीएसएफ के जवानों की वीरता के किस्से हमेशा याद किये जाते हैं. 1971 में भारत पाकिस्तान युद्ध में सबसे पहले बीएसएफ ने ही दुश्मन को करारा जवाब दिया था.

आज बीएसएफ का स्थापना दिवस

1 दिसंबर यानी सीमा सुरक्षा बल का स्थापना दिवस. सीमा सुरक्षा बल की स्थापना 1 दिसंबर 1965 में को हुई थी. 1971 में भारत पाकिस्तान की लड़ाई के दौरान सबसे पहले पश्चिमी राजस्थान में सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने पाकिस्तानी सेना को मुंहतोड़ जवाब दिया था. सीमा सुरक्षा बल देश के पाकिस्तान सहित अन्य देशों की सीमा पर 24 घंटे 365 दिन मुस्तैद रहकर दुश्मन को करारा जवाब देती है. बात अगर राजस्थान की जाए तो राजस्थान से सटी पाकिस्तान की सीमा बाड़मेर जैसलमेर बीकानेर गंगानगर से लगती है जहां पर लगातार सीमा सुरक्षा बल के जांबाज जवान 24 घंटे 50 डिग्री की गर्मी और माइनस डिग्री की शीतलहरों में भी मुस्तैद रहते हैं.

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बाड़मेर जिले में पाकिस्तान से लगती 270 किलोमीटर की सीमा पर 24 घंटे सीमा सुरक्षा बल के जवान मुस्तैद रहते हैं. सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने 1971 भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान पाकिस्तानी सेना को को सबसे पहले मुकाबला सीमा सुरक्षा बल दिया था. उसके बाद से ही सीमा सुरक्षा बल को लेकर हमेशा यह कहा जाता है कि कैसे विषम परिस्थितियों में दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए देश के जवान हर मिनट हर सेकेंड तत्पर रहते हैं.

सीमा सुरक्षा बल के स्थापना दिवस पर बॉर्डर के इलाकों में सीमा सुरक्षा बल की ओर से ग्रामीण लोगों के लिए कई सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. सीमा सुरक्षा बल के जवानों की खासियत बात यह है कि जहां पर भी इनकी बटालियन होती है वहां पर आसपास के गांव के लोगों को सामाजिक सरोकार के कार्यक्रम चलते रहते हैं.

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