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स्पेशल: आवास निर्माण की अनुमति लेने को लगाने पड़ते हैं चक्कर, सच्चाई और दावे में जमीन आसमान का फर्क

बाड़मेर नगर परिषद के दावे और हकीकत में जमीन आसमान का फर्क नजर आ रहा है. ईटीवी भारत की पड़ताल में नगर परिषद के कर्मचारियों और अधिकारियों के दावे झूठे साबित होते दिख रहे हैं. परिषद के अधिकारी और कर्मचारी भले ही कुछ भी कहें, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है.

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सच्चाई और दावे में जमीन आसमान का फर्क

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Published : Oct 20, 2020, 8:04 PM IST

बाड़मेर.नगर परिषद के अंतर्गत रहने वाले लोगों को मकान निर्माण करवाने से पहले परिषद से अनुमति लेना जरूरी होता है. फिलहाल यह नियम हर जगह लागू है. लिहाजा नियम के मुताबिक तीन दिन के भीतर ही नगर परिषद को आवास निर्माण के लिए अर्जी को मंजूर करके अनुमति देनी होती है, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम ने बाड़मेर नगर परिषद में सबसे पहले ऐसे लोगों से बातचीत की, जिन्होंने हाल ही में अपने आवास की अनुमति ली है.

सच्चाई और दावे में जमीन आसमान का फर्क

टीम ने सबसे पहले डॉक्टर जीसी लखारा से बातचीत की. उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले ही आवास निर्माण की अनुमति के लिए नगर परिषद में अर्जी दाखिल की थी. इस दौरान उन्हें कई दिनों तक दफ्तर के चक्कर लगाने पड़े. क्योंकि ऑनलाइन यह व्यवस्था नहीं थी, लिहाजा इधर-उधर भटकना पड़ा. नगर परिषद ये दावा करती है कि तीन दिन के अंदर हम आवास के भूखंड की अनुमति दे देते हैं तो उसकी हकीकत यह थी कि 18 दिन तक लखारा को इंतजार करना पड़ा, उसके बाद उन्हें अनुमति मिली.

अनुमति लेने के लिए महीनों करने पड़ते हैं इंतजार

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नगर परिषद आयुक्त अशोक शर्मा का कहना है कि हम तीन दिन के भीतर निर्माण की कागजी कार्रवाई पूरी करवाने के बाद उसे मंजूर कर दिया जाता है. मेरे कार्यकाल के दौरान अब तक 90 निर्माणों के लिए अनुमति दी गई है. वहीं 35 प्रर्थना पत्र इंजीनियर की रिपोर्ट के चलते बाकी है.

बाड़मेर नगर परिषद की हालात खराब

वहीं नगर परिषद बीजेपी के प्रतिपक्ष नेता पृथ्वी चंक से बातचीत की तो उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि बाड़मेर नगर परिषद की हालत बेहद खराब हैं. लोग आवास के साथ ही कमर्शियल निर्माण में भी अनुमति के लिए धक्के खाते रहते हैं. आलम यह है कि जो अनुमति पांच या सात दिन में मिलनी चाहिए, वह 15 से 20 दिन या 25 दिन में मिलती है. इस बात को लेकर हमने कई बार नगर परिषद की बैठक में मामला भी उठाया. लेकिन अधिकारी हों या नगर परिषद के चेयरमैन कोई सुनने वाला नहीं है.

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ईटीवी भारत की टीम ने उन लोगों से भी बातचीत करने की कोशिश की, जिन लोगों के निर्माण के लिए आवेदन किए हुए थे और काफी दिनों से पेंडिंग पड़े थे. लेकिन कोई भी कैमरे पर बोलने को तैयार नहीं था. ऐसे में अगर नगर परिषद में निर्माण अनुमति की बात करें तो हालात बेहद खराब है. सबसे बड़ी समस्या तो यह है कि सरकार या आदेश दे चुकी है कि इस प्रक्रिया को ऑनलाइन किया जाए. लेकिन नगर परिषद ऑनलाइन करने के मूड में नजर नहीं आ रहे है. जब संवाददात ने पूछा तो बताया गया कि जल्द ही ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी.

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ऑनलाइन प्रक्रिया होने से लोगों को बेहद निर्माण की परमिशन जल्दी मिल सकती है. ताकि नगर परिषद के अधिकारियों और कर्मचारियों के पीछे घूमने की जरूरत भी नहीं है. लोग आवेदन करने के लिए भी नगर परिषद निकालते रहते हैं. क्योंकि कागजी कार्रवाई इतनी ज्यादा है कि या तो अधिकारी नहीं मिलता या कर्मचारी नहीं मिलता या फिर कागजी कार्रवाई में इतना वक्त लग जाता है और उसके बाद नगर परिषद के कर्मचारी और अधिकारी आवेदन को प्रोसेस कराने में भी ज्यादा वक्त ले लेते हैं. इसके चलते इस बात का खामियाजा बाड़मेर शहर के लोगों को भुगतना पड़ता है. बाड़मेर में तीन बार से लगातार कांग्रेस का बोर्ड है. कांग्रेस हमेशा दावा करती है कि निर्माण की प्रक्रिया बाड़मेर के अंदर तीन या चार दिन में पूरी हो जाती है.

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