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SFC और FFC की राशि ग्राम पंचायतों को जारी करने और अन्य मांगों को लेकर दिया धरना

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Published : Feb 24, 2021, 10:52 PM IST

बाड़मेर जिला सरपंच संघ ने SFC और FFC की राशि ग्राम पंचायतों को जारी करने और छठे राज्य वित्त आयोग के गठन होने तक विशेष पैकेज की मांग को लेकर दिया धरना. ग्राम पंचायतों को विगत दो सालों से राज्य वित्त आयोग की राशि जारी नहीं की गई 2964.31 करोड़ रुपए जारी की. स्वीकृती जारी करने के बाद भी साल 2019-20 की राशि ग्राम पंचायतों को राशि जारी नहीं की गई हैं. इससे जिले के सरपंचों में भारी आक्रोश है.

State finance commission, जिला सरपंच संघ बाड़मेर
बाड़मेर जिला सरपंच संघ ने अपनी मांगों को लेकर दिया धरना

बाड़मेर. राजस्थान सरपंच संघ के आह्वान पर बुधवार को जिला सरपंच संघ बाड़मेर में सरपंच संघ जिला अध्यक्ष हिन्दु सिंह तामलोर के नेतृत्व में सरपंचों ने राज्य सरकार से एस एफ सी और एफ एफ सी की राशि ग्राम पंचायतों को जारी करने और छठे राज्य वित्त आयोग के गठन होने तक विशेष पैकेज की मांग को लेकर बाड़मेर मुख्यालय पर धरना देकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम ज्ञापन सौपा.

ग्राम पंचायतों को विगत दो सालों से राज्य वित्त आयोग की राशि जारी नहीं की गई 2964.31 करोड़ रुपए जारी की. स्वीकृती जारी करने के बाद भी साल 2019-20 की राशि ग्राम पंचायतों को राशि जारी नहीं की गई हैं. इससे जिले के सरपंचों में भारी आक्रोश है. छठे आयोग का गठन नहीं किया गया है, इससे भविष्य में राजस्थान के ग्राम पंचायतो को राज्य वित्त आयोग की राशि मिलने की सम्भावना समाप्त हो गई. छठा राज्य वित्त आयोग जब तक गठन नहीं हो तब तक पांच सौ करोड़ का विशेष पेकेज की घोषणा की जाए यदि ग्राम पंचायतों को राशि नहीं दी गई तो आगे सरपंच संघ आंदोलन की राह पकड़ेगा जिसकी जिम्मेदारी सरकार और शासन की होगी.

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मूलाराम गुडीसर ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से 73वां सविधान संसोधन की स्पष्ट अवहेलना करके प्रदेश की पंचायती राज संस्थाओं को प्रशाशनिक और आर्थिक रूप से विकलांग बनाया जा रहा है. दलपत सिंह विशाला ने बताया कि प्रत्येक पांचवे साल की समाप्ति पर वित्त आयोग गठन करेगा जो पंचायतों की वित्तीय स्थिति का पुनविर्लोकन करेगा. लेकिन अभी तक उसका गठन नहीं हुआ है. अशरफ नवातला सरपंच ने बताया कि अनुसार ग्राम पंचायतो के पांच साल कार्यकाल के पूर्व निर्वाचन प्रक्रिया को सम्पादन करने की राज्य सरकार पर बाध्यता लागू की गई है. जिसका राज्य सरकार की ओर से स्पष्ट उलघन कर पंचायतीराज संस्थाओ पर प्रशासकों की नियुक्ति कर संविधान का अतिक्रमण किया गया हैं.

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