बाड़मेर. 'मालाणी की जनता करे पुकार हमे भी मिले लंबी दूरी की ट्रेनों का उपहार' यह नारा काफी समय से सुनने को मिल रहा है, लेकिन बाड़मेर को लंबी दूरी की ट्रेन नहीं मिली बल्कि ब्रॉडगेज पर दौड़ने वाली वर्षो पुरानी मालाणी एक्सप्रेस को ही बाड़मेर से अलग कर दिया जा रहा है.
मालाणी एक्सप्रेस बंद करने की आदेशों के बाद लोगों में आक्रोश बता दें कि बाड़मेर से पुरानी दिल्ली को जाने वाली मालाणी एक्सप्रेस को बंद करने की घोषणा से ही बाड़मेर मे बवाल मच गया है. बता दें कि लोगों ने सरकार के इस निर्णय की कड़े शब्दों में भर्त्सना की है. वहीं युवाओं ने रेलवे स्टेशन के आगे सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. युवाओं ने मालाणी को महज एक ट्रेन नहीं बल्कि बाड़मेर की जनता की भावनाओं से जुड़ा हुआ एक अध्याय बताया. वहीं युवाओं को मालाणी का बंद होना कतई पसंद नहीं है.
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बता दें कि मालाणी एक्सप्रेस को बंद कर मंडोर एक्सप्रेस को बाड़मेर तक बढ़ाने के रेलवे के फैसले के खिलाफ अब लोग सड़कों पर उतर आए हैं. लोगों ने रेलवे के इस फैसले की प्रति नाराजगी और गुस्सा जाहिर किया है की मालाणी एक्सप्रेस बाड़मेर जैसलमेर की जनता की भावनाओं से जुड़ी हुई है.
वहीं मालाणी बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले हस्ताक्षर अभियान से जन आंदोलन का आगाज हुआ सैकड़ों युवाओं ने रेलवे स्टेशन के बाहर मंडोर एक्सप्रेस का स्वागत करते हुए मालाणी को यथावत रखने की मांग की, इसके साथ ही युवाओं ने रेलवे स्टेशन पर यात्रियों को मालाणी एक्सप्रेस बचाने के लिए जागरुकता पंपलेट बांटे. बता दें रेलवे की ओर से मालाणी एक्सप्रेस को 14 मार्च 2020 से बंद कर 15 मार्च से जोधपुर से दिल्ली के बीच चलने वाली मंडोर एक्सप्रेस को बाड़मेर से चलाने का फैसला किया है.