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जब अपने 'बेगाने' हो जाते हैं तो बाबल खान सामने आते हैं, कुछ इस तरह दिलाते हैं 'मोक्ष' - funeral of dead body in barmer

पूरे देश में इस समय कोरोना की दूसरी लहर का कहर है. यहां तक कि कोरोना होने के बाद अपने भी साथ छोड़ रहे हैं, कोई हाथ नहीं लगाता तो कोई दूर रहकर बात करता है. लेकिन अब हम आपको एक ऐसे शख्स की कहानी बताने जा रहे हैं जो कि दिन-रात कोरोना से मौत होने के बाद शव को हाथ भी लगा लेता है और अपनी गाड़ी में रखकर परिजनों की मदद भी कर देता है.

babal khan did funeral
बाबल खान की दिलेरी...

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Published : May 13, 2021, 10:36 AM IST

बाड़मेर. कोरोना काल में जब अपने भी साथ छोड़ रहे हैं तो कई ऐसे भी हैं जो दूसरों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं. बाड़मेर के बाबल खान भी उन्हीं में से एक हैं, जो इस मुश्किल घड़ी में जरूरतंदों की मदद के लिए कभी पीछे नहीं रहते. इतना ही नहीं, कोरोना से मौत हो जाने के बाद अगर परिजन हाथ न लगाए तो बाबल खान उस शव का दाह संस्कार भी कर लेता है.

बाबल खान की दिलेरी...

बाबल खान सार्वजनिक श्मशान समिति की अंतिम यात्रा मोक्ष वाहन चलाता है. 2 साल से लगातार बाबल खान मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में होने वाली कोरोना से मौत के शव को श्मशान पहुंचाता है. इतना ही नहीं, अगर कोई परिवार का सदस्य साथ में नहीं आता है तो श्मशान समिति के सदस्यों के साथ मिलकर रीति-रिवाज से दाह संस्कार भी कर लेता है.

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बाबल खान के अनुसार इस बार तो हालात बेहद खतरनाक हैं. रोज के तीन से चार शवों को ले जाना पड़ता है. पहली लहर में इतने हालात खतरनाक नहीं थे. इस बार तो एक के बाद एक लोगों की मौत हो रही है. मुझे कोविड मौत के शव को हाथ लगाने से भी डर नहीं लगता है. मुझे इस बात की संतुष्टि है कि इस विकट परिस्थितियों में जब अपने ही साथ छोड़ देते हैं, उस समय मैं लोगों की सेवा कर रहा हूं.

श्मशान समिति के संयोजक भेरूसिंह फुलवरिया बताते हैं कि बाबल खान लगातार 24 घंटे काम करता है. जब भी अस्पताल से इस फोन आता है तो अपने सारे काम छोड़ कर मोक्ष वाहन वहां ले जाकर शव को लेकर आता है और अंतिम संस्कार करवाता है.

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